#WATCH | Addressing the Conservative Political Action Conference (CPAC) in Washington, US President Donald Trump says, "$29 million goes to strengthen the political landscape and help them out so that they can vote for a radical left communist in Bangladesh. You got to see who… pic.twitter.com/IzgE6NMDiP
डोनाल्ड ट्रंप ने वाशिंगटन में कंजर्वेटिव पॉलिटिकल एक्शन कांफ्रेंस (CPAC) में संबोधन देते हुए कहा कि “29 मिलियन डॉलर बांग्लादेश को दिए गए हैं ताकि वहां पर राजनीतिक परिदृश्य मजबूत हो सके और उन्हें मदद मिल सके। ट्रंप (Donald Trump on Bangladesh USAID Funding) ने तंज कसते हुए कहा कि अब इस फंडिंग का इस्तेमाल ऐसे किया जा रहा है कि वहां पर एक कट्टरपंथी वामपंथी कम्युनिस्ट को वोट दिय़ा सके। आपको देखना होगा कि उन्होंने किसका समर्थन किया। इसलिए ये फंडिंग रोकी गई है। वहीं भारत को चुनावों में मदद करने के लिए (Trump on India Voter Turnout funding in India) 18 मिलियन डॉलर दिए जा रहे है? आखिर क्यों? आखिर हम वापस बैलेट पेपर क्यों नहीं जा सकते। और क्या उन्हें हमारे चुनावों में हमारी मदद करने देते हैं? उन्हें पैसे की ज़रूरत नहीं है…।”
भारत और बांग्लादेश की अलग-अलग है फंडिंग
डोनाल्ड ट्रंप ने वोटर टर्नआउट फंडिंग को लेकर अमेरिका का रुख साफ करते हुए फिर ये कहा है कि इंडिया की फंडिंग बांग्लादेश से अलग थी। भारत को अलग से 21 मिलियन डॉलर दिए जाने थे और बांग्लादेश को अलग से 29 मिलियिन डॉलर दिए जाने थे। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि बांग्लादेश को अब तक 26 मिलियन डॉलर मिल चुके हैं लेकिन भारत को पैसा नहीं मिला है। ट्रंप ने कहा कि ”21 मिलियन डॉलर भारत में वोटर टर्नआउट के नाम पर मेरे मित्र पीएम मोदी को जा रहे थे और 29 मिलिय़न डॉलर बांग्लादेश के राजनीतिक परदृष्य को ठीक करने के लिए किए जा रहे थे।
अमेरिका के बयान पर भारत में गहरी चिंता
वोटर टर्नआउट फंडिंग को लेकर भारत के विदेश मंत्रालय ने पहले ही चिंता जता ही और इस मामले में गहरी जांच करने की बात कही है। वहीं अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी चिंता जताते हुए कहा कि ‘वोटर टर्नआउट’ के लिए अमरीकी संस्था USAID की दी जाने वाली फंडिंग पर उठे सवालों से लग रहा है कि कुछ ऐसी गतिविधियां हैं जिनका उद्देश्य किसी नैरेटिव या दृष्टिकोण को आगे बढ़ाना है।
जयशंकर ने बीते दिन दिल्ली विश्वविद्यालय लिटरेचर फेस्टिवल में कहा कि ट्रंप प्रशासन से कुछ जानकारी सामने आई है और ये निश्चित रूप से चिंता का विषय है। USAID को भारत में अच्छे इरादों के तहत कार्य करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन अब अमेरिका से ऐसे संकेत आ रहे हैं कि कुछ गतिविधियां दुर्भावनापूर्ण थीं। एक सरकार के रूप में हम इसकी जांच कर रहे हैं। देश को पता होना चाहिए कि क्या हुआ है।