जयशंकर की टिप्पणी पर क्या बोले रणनीतिक जानकार ?
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर के इस बयान को कूटनीतिक हलकों में एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह संदेश साफ है-भारत चीन से टकराव नहीं, लेकिन स्पष्टता और स्थिरता चाहता है। दक्षिण एशिया मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि “दूरदर्शी दृष्टिकोण” की बात करते हुए जयशंकर ने चीन को यह बताने की कोशिश की है कि भरोसे की बहाली तभी संभव है जब सीमावर्ती तनाव और संदेह दूर किए जाएं।
क्या आगे कुछ ठोस कदम उठाए जाएंगे ?
बैठक के बाद यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले महीनों में भारत और चीन के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर वार्ताएं फिर से तेज हो सकती हैं। सूत्रों के अनुसार, दोनों पक्ष LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) से जुड़ी समस्याओं को बातचीत से हल करने को लेकर नए दौर की योजना बना रहे हैं। वहीं, व्यापार और निवेश से जुड़े मुद्दों पर भी द्विपक्षीय संवाद की संभावना जताई जा रही है।
रूस की पृष्ठभूमि में क्यों अहम थी यह बैठक ?
इस बैठक का एक दिलचस्प साइड एंगल यह भी है कि भारत और चीन के नेताओं की पिछली मुलाकात रूस के कज़ान शहर में हुई थी, जो कि BRICS जैसे मंचों पर दोनों देशों की सक्रियता को दिखाता है। रूस की भूमिका अब इन दोनों पड़ोसी देशों के बीच ‘सेतु’ की तरह देखी जा रही है, जो बातचीत और सहयोग को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।