सूत्रों के मुताबिक, पैनल को बताया गया कि यह ऑपरेशन एक प्री-एम्पटिव स्ट्राइक थी, जिसमें आतंकी केंद्रों पर सटीक हमला कर पाकिस्तानी सेना की रणनीतिक विफलता उजागर की गई। बैठक में यह भी साफ किया गया कि पाकिस्तान को पहले से कोई चेतावनी नहीं दी गई थी और हमलों के बाद DGMOs के बीच सीमित बातचीत हुई। बैठक में यह भी सामने आया कि जर्मनी समेत अधिकतर वैश्विक शक्तियों ने भारत के आत्मरक्षा अधिकार और आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की सराहना की है।
“भारत अब चेतावनी नहीं देता”-विदेश नीति में स्पष्टता और शक्ति का प्रदर्शन
राजनीतिक विशेषज्ञों और पूर्व राजनयिकों ने इसे भारत की विदेश नीति में “रणनीतिक स्पष्टता” का संकेत बताया है। पूर्व राजदूत अशोक सज्जनहार ने कहा, “यह ऑपरेशन सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत की विदेश नीति का एक ठोस बयान है-हम अब आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेंगे, चाहे वह सीमा के इस पार हो या उस पार हो।”
आगे क्या: क्या ऑपरेशन सिंदूर 2.0 की तैयारी हो रही है ?
जानकार सूत्रों के मुताबिक, सरकार आने वाले महीनों में ऑपरेशन सिंदूर 2.0 जैसी कार्रवाई की संभावनाओं को खुला रखे हुए है। रक्षा प्रतिष्ठानों और विदेश मंत्रालय के बीच समन्वय लगातार बढ़ाया जा रहा है। इसके साथ ही पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने के लिए नई कूटनीतिक पहलें भी शुरू होंगी-विशेषकर UN, G20 और SCO जैसे मंचों पर।
साइड एंगल:सिंधु जल संधि: सिर्फ प्रतीक या आने वाला बड़ा मोर्चा ?
बैठक में एक और उल्लेखनीय मुद्दा था-सिंधु जल संधि। समिति के कुछ सदस्यों ने इसे एकतरफा समझौता बताया, जिस पर भारत को पुनर्विचार करना चाहिए। सरकार ने कहा कि संधि स्थगित है और आगे की कार्रवाई रणनीतिक समीक्षाओं के आधार पर की जाएगी। यह जल कूटनीति पाकिस्तान के खिलाफ भारत की एक और सख्त रणनीति बन सकती है।