आधिकारिक बयान से लगी अटकलों पर रोक
सोमवार को जारी बयान में कहा गया, “इस तरह की खबरें पूरी तरह से निराधार हैं। शराब पर प्रतिबंध अब भी कायम है और इसमें किसी भी तरह की ढील की कोई योजना नहीं है।” हालांकि, पिछले साल राजधानी रियाद में एक खास शराब की दुकान खोली गई थी, लेकिन उसका दायरा बहुत सीमित है। यह दुकान सिर्फ गैर-मुस्लिम राजनयिकों के लिए खुली है और आम जनता के लिए नहीं।
2034 वर्ल्ड कप का बढ़ा रोमांच, पर नियम अब भी सख्त
इस अफवाह की जड़ें उस रिपोर्ट में थीं, जिसमें कहा गया था कि सऊदी अरब विश्व कप के दौरान विदेशी पर्यटकों के लिए शराब की सीमित बिक्री की अनुमति देने पर विचार कर रहा है, लेकिन चूंकि इस रिपोर्ट में किसी भरोसेमंद स्रोत का ज़िक्र नहीं था, इसलिए इसकी विश्वसनीयता पहले दिन से ही संदिग्ध रही।
रूढ़िवादी समाज में ऑनलाइन बहस तेज
सऊदी समाज, जहां राजा को मक्का और मदीना की पवित्र मस्जिदों का संरक्षक माना जाता है, वहां ऐसी खबरें स्वाभाविक रूप से बड़ी बहस का कारण बनती हैं। सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया था, लेकिन सरकारी खंडन के बाद अब स्थिति शांत होती दिख रही है।
इंटरनल पॉलिसी ड्राफ्ट सोशल मीडिया पर लीक
हाल ही में एक इंटरनल पॉलिसी ड्राफ्ट सोशल मीडिया पर लीक हुआ, जिसमें कुछ “स्पेशल ज़ोन” में विदेशी पर्यटकों के लिए अल्कोहल-फ्री बियर और वाइन रिप्लेसमेंट की अनुमति पर चर्चा की बात सामने आई थी। हालांकि, सऊदी सरकार ने इस ड्राफ्ट को “असत्यापित और कार्यान्वयन से कोसों दूर” बताया है। - मिडल ईस्ट मॉनिटरिंग डेस्क के एक्सक्लूसिव इनपुट के अनुसार, रियाद में विदेशी राजनयिकों के लिए खोली गई शराब की दुकान पर बायोमेट्रिक एक्सेस और कड़ी निगरानी व्यवस्था लागू है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि कोई स्थानीय या अनधिकृत व्यक्ति प्रवेश न कर सके।
क्राउन प्रिंस एमबीएस के सुधार, पर सीमाएं बरकरार
हाल के वर्षों में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) ने देश में कई साहसिक सामाजिक और आर्थिक सुधार लागू किए हैं। महिलाओं को गाड़ी चलाने की अनुमति, धार्मिक पुलिस की ताकत में कटौती और सार्वजनिक जीवन में लैंगिक समानता की दिशा में कदम उठाए गए हैं, लेकिन शराब पर प्रतिबंध अब भी देश की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान का अहम हिस्सा बना हुआ है।
क्या सऊदी अरब शराब पर भविष्य में कुछ बदलेगा ?
भविष्य की दिशा का अंदाज़ा लगाना कठिन है, लेकिन फिलहाल सऊदी अरब शराब पर अपने पारंपरिक रुख पर कायम है। अधिकारियों का साफ संदेश है -“पर्यटन बढ़ाना है, लेकिन अपने मूल्यों से समझौता नहीं।”
पब्लिक और सोशल मीडिया रिएक्शन
सऊदी सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर प्रतिक्रियाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। एक ट्विटर यूज़र ने लिखा,”अगर शराब आएगी, तो संस्कृति जाएगी।,” वहीं कुछ ने सवाल उठाए: “2034 तक क्या और भी ‘सुधारों’ की तैयारी है?” यूथ वर्ग में थोड़ी उत्सुकता देखी गई, लेकिन पारंपरिक और धार्मिक वर्ग ने इसे “खतरनाक सांस्कृतिक विचलन” बताया।
अंतरराष्ट्रीय मानकों के लिहाज से क्या हो सकता है ?
2034 वर्ल्ड कप से पहले सऊदी अरब को अंतरराष्ट्रीय मानकों को लेकर और भी दबाव झेलना पड़ सकता है। सार्वजनिक स्वास्थ्य और धार्मिक संगठनों की भूमिका इन फैसलों में निर्णायक साबित हो सकती है। अगर कोई बदलाव होगा भी, तो वह “सीमित, नियंत्रित और गैर-मुस्लिम ज़ोन” में ही होगा -और वह भी व्यापक लोक समर्थन के बिना संभव नहीं।
साइड एंगल : एक और परिप्रेक्ष्य
सऊदी के कई नागरिक मानते हैं कि शराब का मुद्दा सिर्फ “पीने” तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की धार्मिक पहचान, सामाजिक नैतिकता और अंतरराष्ट्रीय छवि से जुड़ा हुआ सवाल है। कुछ अर्थशास्त्री मानते हैं कि अगर विदेशी पर्यटकों को सीमित मात्रा में शराब की सुविधा मिलती है, तो इससे हॉस्पिटैलिटी और टूरिज्म सेक्टर में बड़ा उछाल आ सकता है। एक्सक्लूसिव इनपुट के लिए क्रेडिट: इस स्टोरी में इस्तेमाल की गई इनसाइट्स और पॉलिसी ड्राफ्ट की जानकारी मिडल ईस्ट मॉनिटरिंग डेस्क और सऊदी पब्लिक अफेयर्स जर्नल के एक रिपोर्टर से मिली, जिन्होंने नाम न जाहिर करने की शर्त पर ये एक्सक्लूसिव अपडेट दिए।