ऑपरेशन जटिल नहीं था, लेकिन दुर्लभ था- डॉक्टर
जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अनिल सामरिया कहना है कि राजस्थान में ऐसा पहला केस है। उनके अनुसार, लंबे समय तक सिक्का अंदर रहने से पेट में अल्सर बन जाते हैं और आंतों में घाव हो सकते हैं। साथ ही चिकित्सकों ने कहा कि यह ऑपरेशन जटिल नहीं था, लेकिन दुर्लभ था। डॉ. सामरिया ने बताया कि एमआरआई टेक्नीशियन बनने के बाद एमआरआई के मैग्नेटिक फील्ड में युवती जाती थी, तब उसे तकलीफ होने लगी थी। गैस्ट्रोलॉजिस्ट विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एमपी शर्मा और उनकी टीम ने यह निर्णय लिया कि सिक्के को निकालना ही उचित रहेगा। उन्होंने यह भी बताया कि सिक्के को निकालने के लिए एंडोस्कोपी की गई और सिक्का बाहर निकाल लिया गया।
लगा शौच में निकल गया होगा सिक्का
गौरतलब है कि 20 वर्षीय युवती MRI टेक्नीशियन है। पेट में दर्द होने के बाद युवती ने जेएलएन अस्पताल में चिकित्सक से संपर्क किया। जिसके बाद युवती का एक्स-रे करवाया गया। जिसकी रिपोर्ट में युवती के पेट में सिक्का नजर आया। जिसे उसने चार साल की उम्र में निगल लिया था। उस समय उसके परिजनों को लगा कि सिक्का शौच में निकल गया होगा। इसलिए उन्होंने चिकित्सक से कोई संपर्क नहीं किया था।