नारेली आरओबी के नीचे खाली बारदाना फैक्ट्री में बोतल-पव्वे धोती किशोरी और उसके एसिड और पानी से गलन लगे हाथ(इनसेट)।
मनीष कुमार सिंहअजमेर(Ajmer News). नारेली रेलवे ओवर ब्रिज के नीचे स्थित कबाड़ फैक्ट्री में मासूम बच्चों के भविष्य की उम्मीदें धूमिल हो रही हैं। खिलौने और किताब के स्थान पर उनके हाथों में शराब की खाली बोतलें और पव्वे हैं, जिन्हें वे दिन-रात एसिड और पानी से साफ कर रहे हैं। मासूमों के हाथ व पैर घंटों एसिड व पानी में डूबे रहने से गलन के कारण बेजान हो चुके हैं। खेलने-कूदने व खिलखिलाने की उम्र में यह मासूम बच्चे यहां बाल मजदूरी के ‘जाल’ में फंसे हैं।
पत्रिका टीम ने सोमवार को राष्ट्रीय राजमार्ग 8 स्थित नारेली आरओबी से गुजरते हुए नीचे नजर डाली तो यकायक कदम ठिठक गए। करीब 12 साल का एक बालक सिर पर कागज के गत्ते का बारदाना ढोता नजर आया। कुछ देर आरओबी पर ठहरे तो कई बच्चे व 2-3 किशोरियां भी यहां काम करती दिखाई दीं। बड़ी संख्या में महिला-पुरूष भी कांच की खाली बोतल-पव्वे के ढेर के बीच बारदाना की छंटनी कर प्लास्टिक के कट्टे भरते दिखाई दिए।
कबाड़ फैक्ट्री में कांच की बोतल-पव्वे साफ करने के दौरान अपने साथ दिखाती किशोरी।
गल चुकी हैं हथेलियां
फैक्ट्री में चल रहे बालश्रम को देखने के लिए पत्रिका संवाददाता व फोटोग्राफर अन्दर पहुंचे तो आंखे खुली रह गई। हालांकि फैक्ट्री में दाखिल होते ही यहां काम कर रहे बालक बारदाने के ढेर के पीछे जाकर छुप गए। टीनशेड के नीचे पानी के छोटे हौद पर बैठे किशोर-किशोरी खाली बोतल-पव्वों पर लगे लेबल साफ करने का काम कर रहे थे। उनसे बातचीत की तो उन्हें पारिश्रमिक की जानकारी नहीं थी। दिनभर पानी और एसिड में काम करने से उनके हाथ की चमड़ी गलने लगी है। कांच से हाथों में भी कट लगे हुए थे।
यहां सबकुछ ठेके पर
बातचीत करने पर सामने आया कि यहां काम करने वाले श्रमिकों को अलग-अलग काम का ठेका दिया गया है। कबाड़ से साबुत खाली बोतल, पव्वे व ढक्कन अलग करने का काम अलग है। साबुत बोतल-पव्वों पर लगे ब्रांड के लेबल को हटाने की जिम्मा दूसरे ठेकेदार का है। बोतल-पव्लों पर एसिड डालने के बाद बच्चे, किशोरी और महिलाएं उन्हें साफ कर कार्टन में भरने का काम करते हैं। सफाई से लेकर कार्टन भराई तक प्रति कार्टन 10 से 12 रुपए मजदूरी मिल रही है।
कहां हैं जिम्मेदार
कहने को बालश्रम की रोकथाम के लिए पुलिस की मानव तस्करी विरोधी शाखा व श्रम विभाग काम कर रहा है। इसके अलावा आधा दर्जन से ज्यादा स्वयंसेवी संगठन अजमेर में सक्रिय है लेकिन जिम्मेदार विभाग के जिम्मेदार अधिकारी, कारिन्दे राजमार्ग पर बारदाना फैक्ट्री में चल रहे बालश्रम से अनजान बने हैं। पड़ताल में सामने आया कि पूर्व में भी जिला पुलिस की एएचटीयू टीम ने बड़ी संख्या में बालक, किशोरियों को दस्तयाब किया लेकिन फौरी कार्रवाई फैक्ट्री संचालक व ठेकेदार पर बेअसर रही।
Hindi News / Ajmer / Patrika Expose : खाली बोतल-पव्वे साफ कर रहे मासूम, पानी व एसिड से गलने लगे हाथ