धर्मयुद्ध कर अधर्मियों का अंत किया
साध्वी स्वरूप बाई ने बताया कि श्रीकृष्ण ने अर्जुन की सोई हुई आत्मा को जगाया, जिसके परिणाम स्वरूप अर्जुन ने कायरता त्याग कर मोह बंधन से मुक्त होकर अपने कर्तव्य का पालन करते हुए धर्मयुद्ध कर अधर्मियों का अंत किया। गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि तु मुझे इन नेत्रों से नहीं देख सकता हैं। मैं तुझे दिव्य नेत्र देता हूं, जिससे तु मेरा असली स्वरूप देख सकेगा। प्रधान मोहन खंडेलवाल एवं सचिव ललित बेनीवाल ने बताया कि सत्संग समारोह के दौरान दीपक खंडेलवाल, दीपा एवं भजन मंडली ने भक्तिमय भजनों की प्रस्तुति दी।बद्रीनाथ धाम से आई साध्वी पार्वती बाई ने नाम महिमा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रहलाद को मारने के लिए कई षड्यंत्र रचे। अपनी बहन होलिका की गोद तक में उनको बैठाया, लेकिन भक्त प्रहलाद ने प्रभु नाम लिया और उसकी शक्ति से सुरक्षित बच गए।
प्रभु राम को अपने वश में कर लिया
उन्होंने कहा कि भगवान शंकर ने उस प्रभु के व्यापक नाम का सुमिरन कर हलाहल विष का पान किया। नाम सुमिरन के प्रभाव से विष का प्रभाव शरीर में व्याप्त नहीं हुआ। हनुमान जी ने नाम को निरंतर सुमिरण किया और प्रभु राम को अपने वश में कर लिया था। जिस प्रभु नाम का उपदेश नारद मुनि ने भक्त प्रहलाद को दिया था, उसी नाम का उपदेश वर्तमान में सतपाल महाराज करा रहे हैं।साध्वी स्वरूपा बाई ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि मेरा एक ऐसा धाम है जहां से कोई जीव वापस संसार में नहीं लौटता है वह है मोक्षधाम। यह प्रभु का परम धाम है। कार्यक्रम के दौरान दीपक खंडेलवाल, दीपा , बनवारी शर्मा, छोटू एवं इनकी भजन मंडली ने आध्यात्मिक एवं होली के भजनों की प्रस्तुति दी, जिस पर भक्त नाचते रहे। इस अवसर पर मोहन खंडेलवाल, ललित बेनीवाल, भगवान सहाय गुप्ता, गिर्राज गुप्ता आदि मौजूद रहे।