scriptपुलिस की पिटाई से टूटी अधेड़ की हड्डी! पीडि़त बोला – खुद की हत्या हो, इससे बेहतर हत्या कबूल ली… जानें क्या है पूरा माजरा | Police accused of torturing a tribal youth in critical condition | Patrika News
बलोदा बाज़ार

पुलिस की पिटाई से टूटी अधेड़ की हड्डी! पीडि़त बोला – खुद की हत्या हो, इससे बेहतर हत्या कबूल ली… जानें क्या है पूरा माजरा

Baloda Bazar News: देवभोग पुलिस पर आदिवासी को प्रताड़ित करने के गंभीर आरोप हैं। यहां लालधर गोंड़ को लड़की की गुमशुदगी के मामले में पूछताछ के लिए थाने ले जाया गया था।

बलोदा बाज़ारMar 29, 2025 / 04:58 pm

Khyati Parihar

पुलिस की पिटाई से टूटी अधेड़ की हड्डी! पीड़िता बोला - खुद की हत्या हो, इससे बेहतर हत्या कबूल ली… जानें क्या है पूरा माजरा
Baloda Bazar News: देवभोग पुलिस पर आदिवासी को प्रताड़ित करने के गंभीर आरोप हैं। यहां लालधर गोंड़ को लड़की की गुमशुदगी के मामले में पूछताछ के लिए थाने ले जाया गया था। बताते हैं कि उसे पैर टूटते तक मारा गया। उसे लगा कि खाकी कहीं उसी की हत्या ही न कर दे, इसलिए उसने जबरन लड़की की हत्या की बात कबूल कर ली। लाश दिखाने कहा तो गांव में नदी के पास ले गया। संयोग से यहां एक महिला की लाश भी निकल आई। हालांकि, बाद में पता चला कि ये वो लड़की नहीं है। पुलिस ने किसी और की सालों पुरानी कब्र खुदवा दी है।
दरअसल, मामला चलनापदर गांव की एक नाबालिग की गुमशुदगी से जुड़ा है। उसे कहीं और शादी कर ली थी। पिछले साल अगस्त में वहीं से लापता हुई। मामले में पूछताछ के लिए इस साल जनवरी में पुलिस चलनापदर में रहने वाले 45 साल के लालधर गोड़ को उठाकर थाने ले गई। गांव में वह लड़की के घर के पड़ोस में रहते हैं। साथ में एक महिला को भी ले जाया गया।
पुलिस का कहना था कि लड़की बातचीत के लिए पहले इनके मोबाइल का इस्तेमाल करती थी। लालधर बताते हैं कि वे लगातार लड़की के गायब होने में अपना हाथ न होने की बात कह रहे थे। फिर भी 5 पुलिसवालों ने मिलकर उन्हें खूब मारा। पैर तोड़ दिया। गांव की महिला को भी भयंकर प्रताड़ित किया।

खुद की हत्या हो, इससे बेहतर हत्या कबूल ली

लालधर सोचा, मार खा-खाकर मर जाने से अच्छा है कि हत्या कबूल कर जेल चले जाएं। उन्होंने बोल दिया कि लड़की की हत्या की है। फिर लाश की बरामदगी का दबाव बना। अब लाश कहां से लाएं! तो ध्यान आया कि गांववालों ने नदी के आसपास मृत परिजनों को दफनाया है। वे पुलिस को वहीं ले गए। यहां एक महिला की लाश निकल आई। यह काफी पुराना कंकाल था, जिस पर जड़ें भी आ चुकी थीं। साफ था कि कंकाल उस लड़की का नहीं।
गांववालों ने अनुमान लगाया कि वह किसी महिला की लाश होगी, जिसकी गर्भावस्था में मौत हुई हो। मतलब सिर्फ पूछताछ के लिए किसी को थाने लाकर पैर तोड़ देना और इतना दबाव बनाना कि वह जबरन किसी की हत्या कबूल ले और अपने ही खिलाफ सबूत देने के लिए किसी की भी कब्र खुदवा दे! देवभोग पुलिस के इसी रवैये ने समाज का गुस्सा भड़का दिया है।
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थाने के सीसीटीवी फुटेज से दूध का दूध, पानी का पानी करें

मैनपुर आदिवासी बहुल इलाका है। समाज प्रमुख पिछले महीनों में चुनावों में व्यस्त रहे। अब जब मामला संज्ञान में आया, तो आदिवासी विकास परिषद ने गरियाबंद में एसपी निखिल राखेचा से मुलाकात की। मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की। देवभोग थाने की सीसीटीवी रेकॉर्डिंग मांगी, जिस दिन लालधर को पूछताछ के लिए थाने ले जाया गया था। समाज के मुताबिक, फुटेज से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
अगर लड़की की गुमशुदगी में किसी भी तरह से लालधर का हाथ है, तो वे बिल्कुल उस पर कार्रवाई करें। लेकिन, गुमशुदगी में हाथ न होने पर भी जिस तरह उसका पैर तोड़ा गया, उस हिसाब से दोषियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। इतनी सख्त कि दोबारा किसी पुलिसवाले में दादागिरी करने की हिम्मत न हो। समाज ने पुलिस की ओर से बनवाई लालधर की मेडिकल रिपोर्ट को भी झूठा बताते हुए संबंधित डॉक्टर पर कार्रवाई की मांग की है।

मुद्दे की बात- लड़की का अब तक कोई सुराग नहीं जुटा पाए

इस पूरे विवाद की जड़ में जाएं, तो उस गुमशुदा लड़की के बारे में पुलिस 7 महीने बाद भी कोई सुराग नहीं जुटा पाई है। वह लड़की भी आदिवासी है। ऐसे में समाज उसे लेकर भी चिंतित है। समाज का कहना है कि पुलिस ने अपना मूल काम अब तक नहीं किया है। अगर वह लड़की जीवित है, तो क्यों पुलिस जबरन उसकी हत्या की बात कबमल करवा रही थी?
यह भी पूछ रहे हैं कि क्या सभी मामलों में ऐसे ही जांच और कार्रवाई करते हैं? वैसे मामले में एक और पेंच है। लड़की ने नाबालिग रहते हुए शादी की है। कानूनन यह मान्य नहीं। क्या पुलिस ने इस दिशा में भी कोई कार्रवाई की है? अब तक इसे लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आ पाई है।
आदिवासी समाज से शिकायत मिली है। एसडीओपी को जांच के निर्देश दिए हैं। थाने का सीसीटीवी फुटेज खंगालने के लिए भी कहा है। – निखिल राखेचा, एसपी, गरियाबंद

आदिवासी समाज के व्यक्ति के साथ थाने में जिस तरह मारपीट की है, वह बर्बरता है। इस पर सत कार्रवाई होनी चाहिए। – संजय नेताम, जिपं सदस्य
पुलिस अब तक गुमशुदा लड़की को खोज नहीं पाई है। ऊपर से पूछताछ के नाम पर आदिवासी का पैर तोड़ दिया। ये गलत है। कार्रवाई हो। – लोकेश्वरी नेताम, जिला पंचायत सदस्य

लालधर की मेडिकल रिपोर्ट है। इसमें वह सामान्य है। पैर टूटा था तो उसी समय बोल सकते थे। 2 महीने बाद मिथ्या आरोप लगाए जा रहे हैं। – गौतमचंद गावड़े, टीआई, देवभोग

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