इस मामले में बरेली में तैनात एडीएम न्यायिक आशीष कुमार और पूर्व नगर मजिस्ट्रेट मदन कुमार को निलंबित कर राजस्व परिषद से संबद्ध कर दिया गया है। वहीं, सीनियर पीसीएस अफसर गणेश प्रसाद सिंह को वित्तीय अनियमितताओं के चलते बर्खास्त कर दिया गया।
बरेली के अधिकारियों पर कार्रवाई, करोड़ों के घोटाले का आरोप
सितारगंज फोरलेन हाईवे और पश्चिमी रिंग रोड के लिए भूमि अधिग्रहण मूल्यांकन में हेराफेरी कर 100 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला किया गया था। आशीष कुमार वर्तमान में एडीएम न्यायिक/विशेष भूमि अध्यापित अधिकारी के पद पर कार्यरत थे और पिछले साल से इस पद का चार्ज संभाल रहे थे। उनके कार्यकाल में ही यह घोटाला उजागर हुआ। मदन कुमार वर्ष 2021 में बरेली में नगर मजिस्ट्रेट थे और उन्होंने भी विशेष भूमि अध्यापित अधिकारी के रूप में लंबे समय तक कार्य किया। उनके कार्यकाल में ही सितारगंज फोरलेन हाईवे भूमि अधिग्रहण का मूल्यांकन हुआ था।
मदन कुमार फिलहाल मऊ में एडीएम के पद पर तैनात थे, लेकिन निलंबन के बाद उन्हें राजस्व परिषद से संबद्ध कर दिया गया है। इस घोटाले में बरेली और पीलीभीत के 15 से अधिक अधिकारियों को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। इसके अलावा, तहसील सदर और तहसील नवाबगंज के लेखपालों और राजस्व निरीक्षकों पर भी कार्रवाई के संकेत हैं।
सीनियर पीसीएस अफसर गणेश प्रसाद सिंह बर्खास्त
सीनियर पीसीएस अधिकारी गणेश प्रसाद सिंह पर जौनपुर में मुख्य राजस्व अधिकारी रहते हुए वित्तीय अनियमितताओं के आरोप थे। उन्हें पहले निलंबित कर राजस्व परिषद से संबद्ध किया गया था। कुशीनगर में तैनाती के दौरान उन्होंने नियमों के विरुद्ध ग्राम समाज की जमीन पट्टे पर दी थी। सरकार ने इस संबंध में कुशीनगर के जिलाधिकारी से रिपोर्ट मांगी, जिसमें गड़बड़ी की पुष्टि होने के बाद मुख्यमंत्री को कार्रवाई का प्रस्ताव भेजा गया था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उन्हें बर्खास्त कर दिया गया।