दरअसल, केंद्र सरकार के द्वारा मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर ताप्ती नदी पर बड़ा बांध बनाने जा रही है। जिससे बैतूल जिले भीमपुर ब्लॉक के 54 गांवों और महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों के गांव को डूबने का खतरा है। इस परियोजना के अंतर्गत भीमपुर से खालवा ब्लॉक तक हजारों एकड़ की निजी, सरकारी और जंगल की जमीन प्रभावित होगी। साथ ही 90 प्रतिशत आदिवासी किसानों को विस्थापित किया जाएगा। जबकि पेसा कानून के तहत संरक्षित क्षेत्र में इसे दखल के तौर पर माना जाएगा।
इधर, आदिवासी संगठनों का कहना है कि उनके कुल देव और धार्मिक आस्था पर ठेस पहुंचेगी। वह अपने पुरखों की जमीन छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहते। विस्थापन से न सिर्फ लोग, बल्कि उनकी संस्कृति और परंपराएं भी विस्थापित होंगी। आदिवासियों की रक्षा के लिए सरकार परियोजना निरस्त करनी चाहिए।
प्रदर्शनकारियों की मांगें है कि परियोजना को जल्द से जल्द निरस्त कर दिया जाए। बड़े बांध की जगह छोटे-छोटे बैराज बनाकर सिंचाई और पानी की नई योजनाएं तैयार की जाए। जिससे हमें विस्थापन न करना पडे़।