स्कूल छोड़ने को मजबूर 10वीं कक्षा के बाद विज्ञान, वाणिज्य और कला में से किसी एक संकाय में जाने का विद्यार्थियों के पास विकल्प होता है। लेकिन, मॉडल स्कूलों में केवल विज्ञान विषय का विकल्प होने से हर साल हजारों विद्यार्थियों के सपने पूरे नहीं हो पा रहे हैं। मजबूरी में उन्हें दूसरी स्कूल में प्रवेश लेना पड़ रहा है। खास बात यह है कि मॉडल स्कूल सत्र 2013-14 से संचालित है। शुरुआत में केन्द्र और राज्य सरकार वित्तीय भार वहन कर रहे थे। वर्तमान में राज्य सरकार मॉडल स्कूलों का संचालन कर रही है। चालू सत्र में सीबीएसई की 10वीं की परीक्षाएं 18 मार्च को खत्म हो चुकी हैं। एक अप्रेल से नया शिक्षा सत्र शुरू होने वाला है।
नई शिक्षा नीति में कई विकल्प एक तरफ नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों के लिए कई विकल्प खुले हैं। वे हर तरह के विषय का चयन कर सकते हैं। दूसरी तरफ, मॉडल स्कूलों में केवल विज्ञान विषय पढ़ाया जा रहा है। यहां विज्ञान के साथ कला और वाणिज्य विकल्प भी विद्यार्थियों को मिलना चाहिए। मॉडल स्कूलों में दसवीं उत्तीर्ण होकर 11वीं में विज्ञान विषय लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या औसतन 50 फीसदी से ज्यादा होती हैं। ऐसे में हर साल करीब 35 से 40 फीसदी विद्यार्थी मॉडल स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर है।
संकाय खोले तो ठहराव हो छात्रों का मॉडल स्कूल में संकाय खोलने पर छात्रों का ठहराव हो सकता है। शिक्षा विभाग ने फिलहाल इस संबंध में किसी तरह के प्रस्ताव नहीं मांगे है। केवल विज्ञान विषय के चलते छात्र 10वीं पास के बाद छात्रों को अन्य स्कूल में जाना पड़ रहा।
– रामेश्वर जीनगर, जिला शिक्षा अधिकारी (मु.) भीलवाड़ा