क्या है पूरा मामला?
दरअसल,
भोपाल के दिलीप मरमठ अपने ससुर के घर में रह रहे थे। उनके ससुर नारायण वर्मा ने एसडीएम कोर्ट में अपील दायर कर अपने मकान को खाली कराने की मांग की थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया। इसके खिलाफ दिलीप मरमठ ने भोपाल कलेक्टर के समक्ष अपील की, लेकिन वह भी खारिज हो गई। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में उन्होंने दावा किया कि उन्होंने इस घर के निर्माण के लिए 10 लाख रुपये दिए थे और बैंक स्टेटमेंट भी प्रस्तुत किया।
हालांकि, अदालत ने पाया कि दिलीप मरमठ और उनकी पत्नी ज्योति को केवल ससुर के घर में रहने की अनुमति दी गई थी। उन्होंने बुजुर्ग अवस्था में अपने ससुर की देखभाल करने का वादा किया था। लेकिन 2018 में एक दुर्घटना में ज्योति की मौत हो गई। इसके बाद दिलीप मरमठ ने दूसरी शादी कर ली और अपने वृद्ध ससुर का ध्यान रखना बंद कर दिया। इस आधार पर अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि दामाद इस मकान पर दावा नहीं कर सकता और उसे मकान खाली करना होगा।
बोरवेल खुला छोड़ने वालों की अब खैर नहीं, केस तो दर्ज होगा, रेस्क्यू की राशि भी वसूली जाएगी, जानें आदेश दामाद को ससुराल से संपत्ति कैसे मिलती है?
भारतीय कानून के अनुसार, शादी के बाद दामाद को आमतौर पर ससुराल से संपत्ति का कोई कानूनी अधिकार नहीं मिलता। हालांकि, कई मामलों में ससुराल पक्ष दामाद को घर में रहने की अनुमति देता है या आर्थिक सहायता प्रदान करता है। कुछ मामलों में, अगर ससुर अपनी बेटी और दामाद के नाम पर कोई संपत्ति खरीदता है, तो वे उसके मालिक बन सकते हैं। हालांकि, अगर संपत्ति केवल रहने की अनुमति के आधार पर दी गई हो, तो इसे वापस लिया जा सकता है। वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण कानून के तहत अगर कोई बुजुर्ग अपने दामाद को घर से निकालना चाहता है, तो वह कानूनी रूप से ऐसा कर सकता है।