गनियारी क्षेत्र में बड़ी मात्रा में अवैध महुआ शराब बनाकर आसपास के गांव में छोटे-छोटे कोचिए को बेचने के लिए दिया जाता है। इस बात की जानकारी पुलिस से लेकर नेताओं को भी है लेकिन आज तक यहां बड़ी कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि त्यौहारी सीजन में कोटा पुलिस और आबकारी विभाग यहां के विभिन्न तालाबों से सड़ाने के लिए डुबाई गई महुआ का लहान जब्त जरूर करती है, लेकिन इस माल के मुख्य सरगना यानी जो इसे शराब बनाने के लिए सड़ाने तालाब में डाला रहता है, उसे कभी भी गिरफ्तार नहीं करती है।
गनियारी क्षेत्र के वर्मा मोहल्ला, पुराना बस स्टैंड के साथ ही घूटकू के स्टेशन पारा, लमेर, कछार में भी घरों और नदी किनारे बाड़ी में हाथ भट्ठी लगाकर हजारों लीटर सड़े हुए महुआ लहान से अवैध शराब बनाने का कारोबार सालों से संचालित हो रहा है। लेकिन आबकारी और पुलिस विभाग छोटी-मोटी कार्रवाई कर शांत हो जाते हैं। बिना संरक्षण के ये संभव नहीं है।
मिलीभगत का खेल: आबकारी विभाग कार्रवाई के बाद बरामद शराब और लहान को बताते हैं लावारिस
केस – 1. एक माह पहले अबकारी की टीम ने गनियारी में दबिश दी। गांव के लोगों ने बताया कि
शराब बनाने के लिए तालाब में महुआ लहान छुपाया गया है। इस पर आबकारी अमले ने गांव वालों की मदद से तालाब में छुपाकर रखे करीब 8 हजार 700 किलो लहान को निकलवाया। लेकिन अफसर यह पता ही नहीं लगा पाए कि ये हजारों किलो लहान किसका है। विभाग ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ ही मामला दर्ज कर लिया।
केस – 2. पंचायत चुनाव की अधिसूचना के साथ ही जनवरी माह में आबकारी विभाग ने बिल्हा थाना क्षेत्र के ग्राम पासीद और बोदरी थाना क्षेत्र के चकरभाठा में भी छापा मारा। दो प्रकरण दर्ज हुए। विभाग ने 54 बल्कि लीटर महुआ शराब और 750 किलोग्राम महुआ लहान जब्त किया। टीम ने निवासी पासीद देवचंद्र साहू से 9 लीटर अवैध महुआ शराब बरामद की। 45 लीटर महुआ शराब के साथ ही नाला किनारे प्लास्टिक डिब्बों में रखे गए 750 किलो महुआ लहान को लावारिस बताते हुए विभाग ने मौके पर ही नष्ट कर दिया।
जवाब देने से बच रहे आबकारी अधिकारी
गनियारी में हर बार बड़ी मात्रा में
महुआ शराब और लहान मिलने के बाद भी यहां आज तक महुआ शराब कारोबार में प्रतिबंध नहीं लगा है। इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया लेने के लिए सहायक आयुक्त आबकारी नवनीत तिवारी से मोबाइल पर संपर्क किया गया । पहले तो मामले को टालने की कोशिश की। फिर एक जरूरी फोन आ रहा है कहकर फोन डिस्केनेक्ट कर दिया। इससे साफ जाहिर है कि सब कुछ जानने के बाद भी आबकारी विभाग के अफसर इस क्षेत्र में कार्रवाई के लिए गंभीर नहीं है। ऐसी अनदेखी से लोफंदी जैसी घटनाएं होती है।