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छतरपुर

खाद्य पदार्थो में मिलावट के मामलों में नहीं हो पा रही कार्रवाई, 70 केस न्यायालय में पेश ही नहीं हुए

70 मामलों को दबाए जाने का खुलासा होने के बावजूद इंचार्ज ऑफिसर ने भी उन मामलों को न्यायालय में दायर नहीं किया है। यह घोटाला खाद्य सुरक्षा विभाग की लापरवाही और अफसरों की नाकामी को उजागर करता है, जिसने आम लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया।

छतरपुरMar 12, 2025 / 10:41 am

Dharmendra Singh

cmho office

-सीएमएचओ ऑफिस

मिलावटखोरों के साथ मिलीभगत के आरोप में निलंबित खाद्य सुरक्षा अधिकारी (एफएसओ) अमित वर्मा द्वारा 70 मामलों को दबाए जाने का खुलासा होने के बावजूद इंचार्ज ऑफिसर ने भी उन मामलों को न्यायालय में दायर नहीं किया है। यह घोटाला खाद्य सुरक्षा विभाग की लापरवाही और अफसरों की नाकामी को उजागर करता है, जिसने आम लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया। इस मामले में कलेक्टर ने खाद्य सुरक्षा अधिकारी वेद प्रकाश चौबे से जानकारी मांगी है, और आगे की कार्रवाई के लिए निर्देश दिए हैं।

कमिश्नर के आदेश का भी पालन नहीं


पूर्व कलेक्टर संदीप जीआर के प्रस्ताव पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी अमित वर्मा को संभागायुक्त डॉ. वीरेन्द्र रावत ने मिलावटखोरों से मिलीभगत के आरोप में निलंबित किया था। निलंबन के बाद, संभागायुक्त ने आदेश दिए थे कि मिलावटखोरों के खिलाफ दायर किए गए मामलों को न्यायालय में प्रस्तुत किया जाए। लेकिन, इंचार्ज ऑफिसर ने इन मामलों को कोर्ट में नहीं दायर किया। इस प्रकार की लापरवाही ने खाद्य सुरक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा किया है।

कोर्ट में प्रकरण पेश करने के लिए तय है समय सीमा


खाद्य सुरक्षा कानून के तहत, यदि किसी खाद्य पदार्थ की लैब रिपोर्ट में अमानक पाए जाते हैं, तो उस मामले को जिला स्तर पर अभियोजन स्वीकृति के आधार पर एक महीने के भीतर कोर्ट में दायर किया जा सकता है। यदि एक साल की अवधि बीत जाती है, तो दो साल के अंदर संभागायुक्त की अनुमति के बाद ही मामलों को कोर्ट में पेश किया जा सकता है। और, यदि दो साल की मियाद भी खत्म हो जाती है, तो मामले खाद्य सुरक्षा कमिश्नर भोपाल की अनुमति से फिर से दायर किए जा सकते हैं। इसके बावजूद, इन नियमों की अनदेखी करते हुए और बिना उचित कारण के मामलों को टालने का सिलसिला जारी है, जो भ्रष्टाचार और लापरवाही का साफ संकेत है।

वर्तमान एफएसओ ने भी 35 मामले दबाए गए


वर्तमान खाद्य सुरक्षा अधिकारी वेद प्रकाश चौबे के द्वारा भी पिछले चार महीनों में 35 मामलों को दबाया गया है। लैब से प्राप्त रिपोर्ट में इन खाद्य पदार्थों के नमूने फेल पाए गए थे, लेकिन एफएसओ ने व्यापारियों को नोटिस देने के बहाने इन मामलों को लटकाए रखा है। इस प्रकार, खाद्य सुरक्षा अधिनियम का पालन करने में भारी विफलता दिखाई दे रही है, और विभाग की कार्यप्रणाली निष्क्रिय हो गई है।

अब कलेक्टर दिखा रहे सख्ती


कलेक्टर ने इन लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के संकेत दिए हैं। सीएमएचओ डॉ. आरपी गुप्ता ने बताया कि सस्पेंड एफएसओ अमित वर्मा के लंबित मामलों की रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी जाएगी। इसके बाद, कलेक्टर द्वारा इंचार्ज ऑफिसर से इस बात की जानकारी ली जाएगी कि अब तक मामलों को कोर्ट में क्यों नहीं दायर किया गया। कलेक्टर ने अधिकारियों को चेतावनी दी है कि वे मामले दायर करने में किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरतें।

पत्रिका व्यू


इस मामले ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब अधिकारी ही अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में विफल हो रहे हैं, तो आम जनता किस पर भरोसा करें? खाद्य सुरक्षा विभाग को जल्द ही अपनी कार्यप्रणाली पर पुनर्विचार करना होगा, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचा जा सके। कलेक्टर के निर्देश के बाद अब देखना यह होगा कि खाद्य सुरक्षा विभाग किस प्रकार से अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करता है और इस लापरवाही के खिलाफ क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।

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