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छतरपुर में ट्रैफिक कैमरों से चालान प्रक्रिया ठप, सर्वर मरम्मत के चलते नियमों की अनदेखी बढ़ी, सडक़ हादसे बढेंगे

जहां पहले हर सिग्नल पर कैमरे की निगाहें लोगों को नियमों की ओर झुकाए रखती थीं, वहीं अब वही लोग बिना हेलमेट, बिना सीट बेल्ट, तीन सवारी और मोबाइल पर बात करते हुए वाहन दौड़ा रहे हैं।

छतरपुरJul 09, 2025 / 10:29 am

Dharmendra Singh

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आकाशवाणी तिराहा पर लगे कैमरे

शहर की सडक़ों पर इन दिनों ट्रैफिक अव्यवस्था का माहौल है। नियमों की किताबें धूल फांक रही हैं और ट्रैफिक व्यवस्था खुद जाम में उलझ गई है। वजह है आकाशवाणी चौराहे पर लगे ऑटोमैटिक ट्रैफिक कैमरे का खामोश हो जाना। सर्वर मेंटेनेंस की आड़ में चालान की कार्रवाई थम गई है और इसी का फायदा उठाकर लोग ट्रैफिक नियमों की खुलेआम अवहेलना कर रहे हैं। जहां पहले हर सिग्नल पर कैमरे की निगाहें लोगों को नियमों की ओर झुकाए रखती थीं, वहीं अब वही लोग बिना हेलमेट, बिना सीट बेल्ट, तीन सवारी और मोबाइल पर बात करते हुए वाहन दौड़ा रहे हैं। हर दिशा से आते ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन अब जैसे आदत बन चुके हैं।

जब निगरानी रुकती है, तो जिम्मेदारी भी बिखर जाती है

बीते वर्ष शहरवासियों ने ट्रैफिक उल्लंघन पर 57 लाख रुपए से ज्यादा का जुर्माना भरा था। इसका सीधा सा मतलब है कि कैमरों की मौजूदगी में डर बना रहता था। लेकिन अब जब इन डिजिटल आंखों ने पलकें झपकाई हैं, तो नियमों की अनदेखी आम हो गई है। ऐसा लग रहा है जैसे यह शहर कैमरा ऑन, तो नियम ऑन और कैमरा ऑफ, तो नियम ऑफ की मानसिकता बन गई है।

नियम टूटते रहे, हादसे बनते रहे आंकड़े

आंकड़ों पर नजर डालें तो स्थिति और गंभीर हो जाती है। बीते तीन वर्षों में जिले में 2142 सडक़ हादसे हुए, जिनमें 744 लोगों ने अपनी जान गंवाई और 1886 लोग घायल हुए। ज़्यादातर मामलों में लापरवाही ही मौत की वजह बनी,कोई हेलमेट नहीं पहन रहा था, कोई सीट बेल्ट से परहेज कर रहा था, तो कोई तेज रफ्तार या गलत दिशा में वाहन चला रहा था। ये हादसे सिर्फ आंकड़े नहीं, हर एक के पीछे किसी का परिवार, किसी की जिंदगी बर्बाद हुई है। एक छोटी सी चूक, एक नियम का उल्लंघन और पूरा जीवन उलट-पलट हो जाता है।

हेलमेट नहीं, है कोई विकल्प?

बाइक पर हेलमेट पहनना ज़रूरी है, लेकिन जब शहर में यह नियम महज एक औपचारिकता बन जाए, तो दुर्घटनाएं लाजिमी हैं। ऐसे में जब सडक़ पर दो पहिया वाहन चालक बिना हेलमेट के रफ्तार भरते हैं, तो सिर्फ खुद नहीं, दूसरों के लिए भी खतरा बन जाते हैं।

जिम्मेदार कौन?

यातायात प्रभारी बृहस्पति साकेत के अनुसार सर्वर की मरम्मत के चलते फिलहाल कैमरा आधारित चालान प्रक्रिया अस्थायी रूप से बंद है। हालांकि उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि कैमरे कार्यशील स्थिति में हैं और भोपाल से सर्वर अपडेट होते ही चालान की प्रक्रिया फिर से शुरू हो जाएगी। इस बीच, नियमों के पालन को लेकर जागरूकता और मैनुअल कार्रवाई जारी है।
फैक्ट फाइल

पिछले 3 वर्षों में कुल हादसे- 2142

मृतकों की संख्या- 744

घायल हुए लोग- 1886

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