मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अभिनम, अभिराम और सतत 24 घंटे से 139 कलाकारों और उनकी साधना को प्रणाम करते हुए कहा कि कथककली भगवान कृष्ण की नृत्य के माध्यम से कथा करने की विद्या है। उन्होंने कहा 1 हजार साल पुराना कंदरिया महादेव उस काल के अंदर उच्च कोटि की शानदार विरासत है। उन्होंने कहा कला संस्कृति बुंदेलखण्ड का इलाका बाकई में अद्भुत है। किसी बात के लिए परमात्मा ने कोई कमी नही रखी है। उन्होंने कहा यहां का पत्थर भी चमके तो दुनिया उसको अपने पास रखती है। ये बुंदेलखण्ड की धरती है। यहां मनुष्य चमते तो बुंदेला कहलाएं और पत्थर चमके तो हीरा कहलाएं और कला चमके तो खजुराहो की कला कहलाएं। इसको नित्य साधो तो अपना जीवन धन्य कर लेंगे। आज कला साधकों ने जो कला का 24 घंटे का क्रम बताया है। उन्होंने कहा सरकार का उत्तरादायित्व है अपनी संस्कृति के लिए काम करें। उन्होंने कहा दुर्लभ वाद्ययों के माध्यम से, कभी नृत्य की विद्या को लेकर, कभी ताल दरवार जैसे सारे कामों से कल्पनाशीलता और गतिशीलता दिखाई देती है।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में सांसद खजुराहो वीडी शर्मा, संस्कृति विभाग के मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी, विधायक राजनगर अरविंद पटेरिया, छतरपुर विधायक ललिता यादव, प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला, संचालक संस्कृति विभाग एन.पी. नामदेव, अधीक्षण पुरातत्व विद, निदेशक उस्ताद अलाउद्दीन खां अकादमी मंचासीन रहे।
कृष्ण और अर्जुन के संवाद को मंच पर जीवंत करने के साथ उठा 51वें खजुराहो नृत्य महोत्सव का पर्दा
छतरपुर. खजुराहो नृत्य समारोह का शुभांरभ गुरुवार को हो गया। पहले दिन शास्त्रीय नृत्य की तीन प्रस्तुतियों के जरिए कंदारिया महादेव व जगदंबी के आंगन में घुंघरुओं का कलरव गूज उठा। कथकली (इंटरनेशनल सेंटर फॉर कथकली, दिल्ली), मोहिनीअट्टम् )पल्लवी कृष्णन, केरल और ओडिसी (कल्याणी वैदेही फगरे, मध्यप्रदेश) की शानदार प्रस्तुति दी गई।
पहली प्रस्तुति में अपने कथकली नृत्य कल्याण कृष्णन नायर ने कृष्ण और अर्जुन के बीच के संवाद को कलात्मक रूप से प्रस्तुत किया। युद्ध क्षेत्र में अर्जुन अपने सगे-सम्बन्धियों और गुरु को सामने पाकर दुखी और हतोत्साहित हो गए थे। उन्होंने अपने सारथी श्री कृष्ण से कहा की अपने ही लोगों को युद्ध में मारकर और हराकर क्या हासिल होगा? उन्होंने कृष्ण से रथ को वापस ले चलने के लिए कहा। तब कृष्ण ने उनको क्षत्रिय धर्म समेत कर्म, जीवन-मृत्यु, आत्मा की अमरता संबंधीनुपदेश दिया। जब श्री कृष्ण ने अर्जुन को अपने विराट रूप का दर्शन कराया तब अर्जुन को सत्य ज्ञान हुआ और वो ऊर्जा और साहस से भरकर युद्ध क्षेत्र में उतर गए। इसके बाद दूसरी प्रस्तुति में पल्लवी कृष्णनन ने मोहनीअट्टम और तीसरी व पहले दिन की आखरी प्रस्तुति में भोपाल की कल्याणी वैदेही के ओडिसी नृत्य ने खजुराहो नृत्य समारोह की पहली शाम भक्ति, कला के अनूठे संगम को प्रस्तुत किया।
मध्यप्रदेश राज्य रूपंकर कला पुरस्कार 2024-25 की घोषणा
छतरपुर. 51वें खजुराहो नृत्य समारोह के शुभारंभ अवसर पर मध्यप्रदेश राज्य रूपंकर कला पुरस्कार 2024-25 के अंतर्गत चयनित कलाकारों और कलाकृतियों को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सम्मानित किया। पुरस्कार समारोह में प्रतिष्ठित कलाकारों को उनकी उत्कृष्ट कलाकृतियों के लिए 51000 रुपए की सम्मान राशि प्रदान की जाएगी।
इन्हें मिले पुरस्कार
दत्तात्रय दामोदर देवलालीकर (चित्रकार) पुरस्कार कलाकृति मिरर इमेज के लिए दिव्या पोरवाल को दिया गया। रघुनाथ कृष्णराव फडके (मूर्तिकार) पुरस्कार कलाकृति फुंगी – 2 के लिए दीना सिंह, नारायण श्रीधर बेन्द्रे (चित्रकार) पुरस्कार कलाकृति स्व आदर के लिए रश्मि कुरील, मुकुन्द सखाराम भाण्ड (चित्रकार) पुरस्कार कलाकृति कुंडली-1 के लिए नीतेश पंचाल, देवकृष्ण जटाशंकर जोशी (मूर्तिकार) पुरस्कार कलाकृति गुहार के लिए उज्जवल ओझा, जगदीश स्वामीनाथन (चित्रकार) पुरस्कार कलाकृति बिटविन यूएस-2 के लिए प्रीति पोतदार जैन, सैय्यद हैदर रजा (चित्रकार) पुरस्कार कलाकृति सम्पूर्ण कुमार संभव के लिए मनीष सिंह, लक्ष्मी शंकर राजपूत (चित्रकार) पुरस्कार कलाकृति छंदक जातक के लिए पल्लवी वर्मा, राममनोहर सिन्हा (चित्रकार) पुरस्कार कलाकृति मोनोग्राफ-2 के लिए लकी जायसवाल और विष्णु चिंचालकर (चित्रकार) पुरस्कार कलाकृति रूरल स्केप-1 के लिए लकी जायसवाल को दिया गया।