देशी-विदेशी दोनों प्रकार के गिद्ध
गिद्धों की गणना के दौरान विशेषज्ञों ने बताया कि जिले में देशी और विदेशी दोनों प्रकार के गिद्ध पाए गए हैं। इन गिद्धों में भारतीय गिद्ध, राज गिद्ध, और इजिप्शन गिद्ध जैसी प्रजातियाँ शामिल थीं। इन गिद्धों की सबसे अधिक प्रजातियाँ बकस्वाहा क्षेत्र में देखी गईं।
वनमंडलाधिकारी सर्वेश सोनवानी ने बताया कि गिद्धों की संख्या में वृद्धि पर्यावरण के लिए शुभ संकेत है। उन्होंने गिद्धों के संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवासों के संवर्धन की आवश्यकता पर बल दिया। गिद्ध, जो मृत प्राणियों का सफाया करते हैं, पर्यावरण की स्वच्छता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और रोगों के प्रसार को नियंत्रित करते हैं। इस वर्ष बकस्वाहा क्षेत्र के निवार और चंदनपुरा जैसे नए इलाकों में भी गिद्धों की प्रजातियाँ देखी गईं, जो जिले के लिए एक नया और उत्साहजनक संकेत है। वन विभाग ने इन स्थानों को चिन्हित किया है और इन गिद्धों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए हैं।
पिछले साल मिले थे 709
वर्ष 2023-24 के पहले चरण में गिद्धों की गणना का तीन दिवसीय अभियान पूरा हुआ था, जिसमें 709 गिद्धों की पहचान की गई। बकस्वाहा में 2019 में 209 गिद्धों की तुलना में इस बार 299 गिद्ध देखे गए हैं। गिद्धों की बढ़ती संख्या जिले के प्राकृतिक वातावरण की शुद्धता का प्रतीक है। गिद्धों के लिए जिले में सबसे ज्यादा लुभावने स्थान बकस्वाहा के जंगल हैं, जहां गिद्धों का महत्वपूर्ण स्थल है। वर्ष 2019 में वन विभाग के अधिकारियों ने जिले में कुल 514 गिद्धों की पहचान की थी, जिसमें सफेद गिद्धों की संख्या अधिक थी। इस वर्ष गिद्धों की बढ़ती संख्या से यह संकेत मिलता है कि जिले का प्राकृतिक वातावरण और पारिस्थितिकी तंत्र स्वस्थ हो रहे हैं।
पर्यावरण के संकेतक है गिद्ध
गिद्धों को जलवायु और पर्यावरण के अच्छे संकेतक के रूप में पहचाना जाता है। उनका देर से आना यह संकेत देता है कि क्षेत्र में बारिश और ठंड हो सकती है, जैसा कि इस वर्ष हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि गिद्धों की उपस्थिति पर्यावरण के स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य है, क्योंकि ये प्रदूषकों को खत्म कर स्वच्छता बनाए रखते हैं। हालांकि, पन्ना टाइगर रिजर्व में रेडियो टैग के माध्यम से गिद्धों की मॉनिटरिंग की योजना बनाई गई थी, लेकिन इसका कार्य अब बंद कर दिया गया है। इस कारण गिद्धों के पुनर्वास और उनके मार्ग की जानकारी नहीं मिल पा रही है। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की टीम भी इस मॉनिटरिंग के आंकड़ों का विश्लेषण नहीं कर रही है, जो गिद्धों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट था। गिद्धों की संख्या में वृद्धि और उनके संरक्षण के प्रयासों से यह स्पष्ट होता है कि जिले का पारिस्थितिकी तंत्र सही दिशा में आगे बढ़ रहा है और आने वाले वर्षों में गिद्धों की संख्या में और वृद्धि होने की संभावना है।