बिना ट्रीटमेंट तालाब पहुंच रहा गंदा पानी
इन अस्पतालों का गंदा पानी न सिर्फ पर्यावरण के लिए खतरे की घंटी बन चुका है, बल्कि यह क्षेत्रीय निवासियों के स्वास्थ्य के लिए भी घातक साबित हो सकता है। अस्पतालों में पानी के शोधन के लिए एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) और ईटीपी (इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) की व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण यह पानी बिना ट्रीटमेंट के बाहर निकल रहा है।
क्या है एसटीपी और ईटीपी?
एसटीपी और ईटीपी पानी को शुद्ध करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। एसटीपी का मुख्य उद्देश्य सीवेज और अस्पतालों के गंदे पानी से हानिकारक पदार्थों को निकालना होता है। यह शुद्धिकरण प्रक्रिया तीन चरणों में होती है। पहले ठोस पदार्थों को अलग किया जाता है, फिर जैविक पदार्थों को वातावरण के अनुकूल रूप में बदला जाता है, और अंत में इसे खाद के रूप में उपयोग किया जाता है। इसके बाद, शुद्ध पानी को नदियों या तालाबों में छोड़ा जाता है।
संक्रमण फैलने का खतरा
अस्पतालों से निकलने वाले दूषित पानी में बैक्टीरियल संक्रमण, साल्मोनेला, हैजा, पेचिश, और फंगल प्रदूषण जैसे घातक वायरस होते हैं, जिनमें हेपेटाइटिस वायरस, एचआईवी वायरस, और एंटरो वायरस शामिल हैं। यदि यह गंदा पानी बिना शोधन के तालाब में पहुंचता है, तो इससे समुदाय में गंभीर संक्रमण फैलने की संभावना बन जाती है। इस जल प्रदूषण के कारण लोग गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकते हैं।
ये कह रहे स्थानीय निवासी
स्थानीय निवासी उमेश असाटी कहते हैं तालाब के आसपास बड़ी संख्या में अस्पताल हैं और ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से अव्यवस्थित है। इन अस्पतालों का गंदा पानी बिना किसी उपचार के तालाब में जा रहा है, जिससे तालाब की स्थिति और भी खराब हो रही है। इसे स्वच्छ बनाए रखने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए। राजेश सिंघई कहते हैं, “तालाब की अनदेखी के कारण इसका अस्तित्व खतरे में है। नालियों का गंदा पानी इसमें मिल रहा है, और इसे निस्तारित करना भी जोखिम भरा हो सकता है।”
नगरपालिका की ये है प्रतिक्रिया
सीएमओ माधुरी शर्मा ने बताया किशोर सागर तालाब के पानी को संरक्षित रखने के लिए एक योजना तैयार की जा रही है। अस्पतालों द्वारा छोड़ा जाने वाला कैमिकलयुक्त पानी जांचा जाएगा और यदि आवश्यक हुआ तो प्रशासन इसकी जांच करेगा और कार्रवाई करेगा। तालाब के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
पत्रिका व्यू
किशोर सागर तालाब छतरपुर शहर का ऐतिहासिक धरोहर है और इसे संरक्षित रखने की अत्यधिक आवश्यकता है। रहवासियों का कहना है कि तालाब के आसपास चल रहे अस्पतालों और नर्सिंग होम्स का गंदा पानी तालाब में मिलने से न सिर्फ इसके पानी का प्रदूषण हो रहा है, बल्कि इससे आसपास के पर्यावरण और लोगों की सेहत पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। तालाब की स्थिति और अस्पतालों से निकलने वाले दूषित पानी के प्रभाव को रोकने के लिए यदि समय रहते कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई, तो आने वाले समय में यह शहर के लिए एक गंभीर संकट बन सकता है।