Tests during pregnancy : प्रेग्नेंसी में जरूरी जांचें और टीके, जानें कब और क्यों कराएं : डॉ. अनुपमा गंगवाल
Tests during pregnancy : प्रेग्नेंसी हर महिला के जीवन का एक अनमोल समय होता है, जिसमें मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना बेहद महत्वपूर्ण है। इस दौरान जरूरी टीके और जांच न केवल मां की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं, बल्कि बच्चे के स्वस्थ विकास में भी मदद करते हैं।
Tests during pregnancy : प्रेग्नेंसी हर महिला के जीवन का एक खास समय होता है। इस समय मां और बच्चे दोनों की सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। गर्भवती महिला की सही देखभाल के लिए समय-समय पर जरूरी टीके लगवाना और जांच करवाना आवश्यक होता है। इससे गर्भवती महिला और बच्चे दोनों को स्वस्थ रखा जा सकता है। डॉ. अनुपमा गंगवाल, सीनियर कंसल्टेंट ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी, जयपुर ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान जरूरी टीकों और जांचों के बारे में, ताकि आपकी गर्भावस्था सुरक्षित और स्वस्थ रहे।
Tests during pregnancy : प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही (1-3 महीने): शुरुआत में जरूरी जांचें और टीके
डॉ. अनुपमा गंगवाल ने बताया कि महिलाओं को प्रेग्नेंसी की शुरुआत में सबसे पहले डॉक्टर से परामर्श करना बेहद जरुरी है। डॉक्टर आपकी सेहत व गर्भावस्था की स्थिति के बारे में पूरी जानकारी लेंगे और कुछ जांच कराने की सलाह देंगे। इसमें थायरॉयड, ब्लड शुगर, और ब्लड ग्रुप की जानकारी के लिए ब्लड टेस्ट, संक्रमण या अन्य समस्याओं की पहचान के लिए यूरिन टेस्ट और गर्भावस्था की स्थिति व बच्चे की सही जगह का पता लगाने के लिए सोनोग्राफी या अल्ट्रासाउंड की सलाह दे सकते हैं।
तीसरे महीने में सबसे महत्वपूर्ण अल्ट्रासाउंड, प्रारंभिक असामान्यताओं का निदान करने में मदद करता है। जेनेटिक स्क्रीनिंग टेस्ट यानि “मार्कर” का भी यही उचित समय है। इसके अलावा डॉक्टर पहली तिमाही में फोलिक एसिड की गोली शुरू करने की सलाह दे सकते हैं। यह बच्चे के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के विकास के लिए बेहद जरूरी है। इस समय टीके की जरूरत नहीं होती, लेकिन अगर महिला को पहले से किसी गंभीर बीमारी का खतरा है तो उसका ध्यान रखना जरूरी होता है।
दूसरी तिमाही (4-6 महीने): शारीरिक जांच और आवश्यक टीके | Necessary tests and vaccines during pregnancy
डॉ. अनुपमा गंगवाल ने बताया कि प्रेग्नेंसी के दौरान (Tests during pregnancy) महिलाओं को हर महीने डॉक्टर से मिलना जरूरी है। इस दौरान ब्लड प्रेशर, वजन, और बच्चे के विकास की जांच की जाती है। इस दौरान शुगर टेस्ट किया जाता है, ताकि डायबिटीज का पता लगाया जा सके। चौथे महीने से डॉक्टर आयरन और कैल्शियम की गोलियां शुरू करवा देते हैं, ताकि मां और बच्चे को पोषण की कमी न हो।
दूसरी तिमाही में टीटी यानी टेटनस टॉक्सॉइड का पहला टीका लगाया जाता है। यह मां और बच्चे दोनों को संक्रमण से बचाने में मदद करता है। इस समय मां और बच्चे की अच्छी सेहत के लिए डॉक्टर संतुलित खानपान और कुछ सावधानी बरतने की सलाह भी देते हैं। 5 वें महीने की सोनोग्राफी, एनामोली स्कैन के नाम से जानी जाती है, जो किसी महिला को मिस नहीं करनी चाहिए।
तीसरी तिमाही (7-9 महीने): निगरानी और अंतिम टीके | Third trimester (7-9 months): Monitoring and final vaccines
डॉ. गंगवाल ने कहा तीसरी तिमाही शुरू होने पर प्रेग्नेंट महिला को डॉक्टर से हर 15 दिन पर मिलना जरूरी है। इस दौरान ब्लड प्रेशर, बच्चे की स्थिति, और मां के स्वास्थ्य की नियमित जांच की जाती है। आमतौर पर तीसरी तिमाही के सातवें महीने में टीटी का दूसरा टीका या बूस्टर डोज दिया जाता है। इससे डिलीवरी के समय संक्रमण का खतरा कम होता है।
इस समय डॉक्टर ग्रोथ स्कैन और बच्चे की स्थिति की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड करवाते हैं जिससे बच्चे की ग्रोथ और पोजिशन का पता लगाया जाता है। अगर बच्चा उल्टा है या किसी तरह की समस्या है, तो डॉक्टर सावधानी बरतने के लिए जरूरी सलाह देते हैं।
गर्भावस्था के दौरान जरूरी टीके और उनका समय | Important vaccinations during pregnancy and their timing
गर्भावस्था के दौरान कुछ महत्वपूर्ण टीके लगवाना बेहद ज़रूरी है ताकि मां और बच्चे दोनों को गंभीर बीमारियों से बचाया जा सके। सबसे पहले टीटी यानी टेटनस टॉक्सॉइड का टीका दिया जाता है। इसका पहला डोज गर्भावस्था की दूसरी तिमाही यानी चौथे-पांचवें महीने में लगाया जाता है, और दूसरा डोज 4-6 हफ्ते बाद या सातवें महीने में दिया जाता है। अगर पहले यह टीका लग चुका है, तो डॉक्टर बूस्टर डोज लगाने की सलाह दे सकते हैं।
यह भी पढ़ें : Digestive system health tips : 5 संकेत बताते हैं आपका पाचन तंत्र सही से काम नहीं कर रहा है इसके अलावा फ्लू का टीका भी दिया जाता है, जो गर्भावस्था के किसी भी समय लगाया जा सकता है। यह टीका फ्लू और अन्य वायरल संक्रमण से बचाव करता है, जो गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक हो सकता है। 26 हफ्ते के बाद फ्लू का टीका लगवाएं, वहीं, तीसरी तिमाही में यानी 27वें से 36वें हफ्ते के बीच डिप्थीरिया, पर्टुसिस और टेटनस (डीपीटी) का टीका लगाया जाता है।
यह नवजात शिशु को जन्म के बाद गंभीर बीमारियों से बचाने में मदद करता है। इसके अलावा अगर मां का हैपेटाइटिस बी टेस्ट पॉजिटिव आता है, तो डॉक्टर हैपेटाइटिस बी का टीका लगाने की सलाह भी देते हैं, ताकि यह संक्रमण मां से बच्चे में न जाए। हर टीके का समय और महत्व अलग होता है, इसलिए इन्हें सही समय पर लगवाना बेहद ज़रूरी है।
टेटनस टॉक्सॉइड (टीटी): यह टीका गर्भवती महिला को संक्रमण से बचाता है। पहला डोज गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में दिया जाता है, जबकि दूसरा डोज 4-6 सप्ताह बाद या सातवें महीने में दिया जाता है। अगर महिला ने पहले यह टीका लगवाया है, तो डॉक्टर बूस्टर डोज की सलाह दे सकते हैं।
फ्लू का टीका: यह टीका गर्भावस्था के किसी भी समय लगवाया जा सकता है। फ्लू और अन्य वायरल संक्रमण से गर्भवती महिला को बचाने के लिए यह टीका बेहद जरूरी है। 26 हफ्ते के बाद फ्लू का टीका लगवाना चाहिए।
डीपीटी (डिप्थीरिया, पर्टुसिस और टेटनस): यह टीका तीसरी तिमाही में 27वें से 36वें हफ्ते के बीच लगाया जाता है, जिससे नवजात शिशु को गंभीर बीमारियों से बचाया जा सकता है। हैपेटाइटिस बी: यदि मां का हैपेटाइटिस बी टेस्ट पॉजिटिव आता है, तो डॉक्टर इस टीके की सलाह देते हैं, ताकि यह संक्रमण मां से बच्चे में न फैले।
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