scriptबंजारा समाज ने की मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री से मांग, कहा- किसी एक विश्वविद्यालय में लगाएं बंजारा समाज के व्यक्ति को कुलपति | Banjara community made a demand to the Chief Minister and Education Minister and said- appoint a person from Banjara community as Vice Chancellor in any one university | Patrika News
हुबली

बंजारा समाज ने की मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री से मांग, कहा- किसी एक विश्वविद्यालय में लगाएं बंजारा समाज के व्यक्ति को कुलपति

अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ ने कर्नाटक के किसी विश्वविद्यालय में बंजारा समुदाय के शिक्षाविद को कुलपति नियुक्त करने की मांग की है। संघ के कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष पाण्डुरंंगा आर पम्मार ने कहा कि बंजारा समुदाय के एस.के. पवार कुलपति पद के लिए योग्य व्यक्ति है। वे पिछले 34 वर्ष से शिक्षा के क्षेत्र में सेवाएं दे रहे हैं। वे विभिन्न पदों पर रह चुके हैं। लम्बे समय से विश्वविद्यालय में कार्यरत है। उन्हें कर्नाटक के किसी विश्वविद्यालय में कुलपति बनाया जा सकता है।

हुबलीMar 25, 2025 / 06:44 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

बंजारा समाज का प्रतिनिधिमंडल।

बंजारा समाज का प्रतिनिधिमंडल।

28 विवि के कुलपतियों की सूची
उन्होंने दावा किया कि वर्तमान में प्रदेश के किसी विश्वविद्यालय में बंजारा समुदाय से कुलपति नहीं है। बंजारा समुदाय ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या एवं शिक्षा मंत्री डॉ. एम सी सुधाकर से मांग की है कि वे बंजारा समुदाय से किसी शिक्षाविद को प्रदेश के किसी विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर नियुक्त दें। उन्होंने प्रदेश के 28 विश्वविद्यालयों के कुलपति की सूची जारी करते हुए दावा किया कि इनमें से किसी विश्वविद्यालय में बंजारा समुदाय से कोई व्यक्ति कुलपति के पद पर आसीन नहीं है। इनमें से 6 विश्वविद्यालयों मेंं कुलपति ब्राह्मय समुदाय से हैं जबकि पांच विश्वविद्यालयों के कुलपति लिंगायत है।
राजनीतिक प्रतिनिधित्व बहुत कम
बंजारा समुदाय के लोगों ने कहा कि बंजारा समाज का राजनीतिक प्रतिनिधित्व भी बहुत कम हैं। हालांकि अब बंजारा समुदाय अपने अधिकारों के लिए धीरे-धीरे जागृत हो रहा है। देश में घुमंतू जातियां, जो कभी भी एक स्थान पर नहीं रहती वे पारथी, सांसी, बंजारा तथा बावरिया आदि मानी जाती हैं। इसमें बंजारा समुदाय को सबसे बड़ा समुदाय माना जाता है। देश ही नहीं विदेश में भी बंजारा समुदाय हर जाति और धर्म में विद्यमान है। देश विदेश में यह समुदाय कई नामों से जाना जाता है। भारत में गोर बंजारा, बामणिया बंजारा, लदनिया बंजारा आदि के नाम से भी इसे जानते हैं। वनजारा शब्द से ही बंजारा शब्द बना है। भारत में मुख्य रूप से बंजारा समाज की 51 से अधिक जातियां पाई जाती हैं।
कुएं व बावडिय़ों के निर्माण में योगदान
बंजारा समाज के लोगोंं ने कहा, एक शोध के अनुसार बंजारा एक व्यापारिक समाज रहा है। व्यापार करने की दृष्टि से ही बंजारा समाज के लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर डेरा डालते रहते थे। मुगल और अंग्रेजों के काल में इन्हें सामग्री और रसद भेजने के काम में लगा दिया गया तब से बंजारा समाज की की दशा बदल गई। बंजारा समाज जहां से भी गुजरता और डेरा डालता था वहां पर वह जल की व्यवस्था जरूर करता था। उन्हीं के कारण कई जगहों पर कुएं, बावड़ी और तालाब का निर्माण हुआ है। पशुपालन और पशुओं की रक्षा का कार्य भी इसी समाज ने संभाला।
लोककला एवं लोकगीतों के संरक्षण की दरकार
समाज के लोगों ने कहा कि देश और धर्म के विकास में बंजारा समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस समाज में भी कई बड़े संत हुए हैं। बंजारा धर्मगुरु संत सेवालाल सबसे बड़ा नाम है। बंजारा समाज में संतों के अलावा कई वीर योद्धा भी हुए जिन्होंने मुगलों और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। चाहे गोरा बादल हो या जयमल फत्ता, संत सेवालाल हो या फिर रूप सिंह महाराज जिसको समाज अपना आदर्श मानता है। बंजारा समुदाय के लोकगीत, लोककथा, वेशभूषा, खान पान, रीति रिवाज, लोकोक्ति, भाषा, बोली आदि कई बातें बहुत ही रोचक है। इसके संरक्षण की जरूरत है।

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