जया मुणोत सिवाना ने कहा, महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे। उनके पिता राजा सिद्धार्थ और माता रानी त्रिशला थीं और बचपन में उनका नाम वद्र्धमान था। जैन धर्म 24 तीर्थंकरों के जीवन और शिक्षा पर आधारित है। तीर्थंकर यानी वो आत्माएं जो मानवीय पीड़ा और हिंसा से भरे इस सांसारिक जीवन को पार कर आध्यात्मिक मुक्ति के क्षेत्र में पहुंच गई हैं। सभी जैनियों के लिए 24वें तीर्थंकर महावीर जैन का खास महत्व है।
समता मेहता सिवाना ने कहा, आज जब हम छोटी बातों को लेकर भी डिप्रेशन में चले जाते हैं लेकिन हमें भगवान महावीर स्वामी के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। उनका जीवन प्रेरक रहा है। यदि हम भगवान महावीर स्वामी की बताई कुछ बातों को भी जीवन में उतार लें तो हमारा जीवन सफल हो जाएगा।
डिम्पल मांडौत जालोर ने कहा, भगवान महावीर स्वामी ने जीव रक्षा को लेकर भी प्रेरणा दी थी। जिसे जीवन में अपनाए जाने की जरूरत है। जो इंसान मन में जीव रक्षा की भावना को विकसित कर लेता है, उसके मन में दया भावना का आना स्वाभाविक है। भगवान महावीर स्वामी की जीवनी अपने आप में मानवता के लिए प्रेरणा है। इसे जानकर जीवन को सफल बनाया जा सकता है। हर इंसान को भगवान व संतों की जीवनी से ज्ञान लेना चाहिए।
राखी मंडलेशा मुण्डारा ने कहा, भगवान महावीर स्वामी अपार शक्ति के मालिक थे। केवल जैन धर्म ही नहीं, बल्कि समूची मानवता की सेवा के लिए भगवान महावीर स्वामी ने जीवन व्यतीत किया था। भगवान महावीर द्वारा की गई तपस्या युगों-युगों तक मानवता का उद्धार करती रहेगी। भगवान महावीर स्वामी ने इंसान को इंसानियत से अवगत करवाया था। इसे समाज कभी भी भूला नहीं सकता।
रेखा तलेसरा सादड़ी ने कहा, भगवान महावीर ने कहा था कि अगर इंसान अहिंसा व परमोधर्म को अपना ले तो वह जीवन में कभी भी कष्ट नहीं पा सकता। भगवान महावीर ने इंसान को सद्भावना के मार्ग पर चल कर आगे बढऩे को प्रेरित किया था।
प्रीति लूूंकड़ समदड़ी ने कहा, भगवान महावीर का ध्यान करने मात्र से ही मन मंगलमयी हो जाता है। मोक्ष की प्राप्ति के लिए भगवान महावीर की शरण सबसे उत्तम मार्ग है। भगवान महावीर की शरण में आने वाले में न तो गलत धारणा पैदा होती है व न ही मन में दुर्बलता आती है। इसलिए भगवान महावीर के बताए मार्ग पर चलकर ही मोक्ष की प्राप्ति की जा सकती है।
प्रिया पारेख शिवगंज ने कहा, महावीर स्वामी की जन्मभूमि बिहार के नालन्दा जिले की कुण्डलपुर है। कुण्डलपुर में भगवान महावीर के जन्मस्थान पर भव्य मंदिर बना हुआ है। कुण्डलपुर जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।
रेणू पोरवाल बागरा ने कहा, भगवान महावीर ने अहिंसा परमो धर्म का संदेश दिया था। भगवान महावीर ने अहिंसा को परम धर्म बताया और अपने जीवन तथा उपदेशों के माध्यम से इसका प्रचार किया। उनका मानना था कि अहिंसा केवल शारीरिक हिंसा से बचने तक सीमित नहीं है, बल्कि विचारों, वाणी और कर्मों में भी अहिंसा का पालन किया जाना चाहिए।
सीमा डूमावत पोसालिया, साधना जैन जालोर एवं हर्षा जैन बरलूट ने भी भगवान महावीर के सिद्धातों को जीवन में अपनाने हुए आगे बढऩे का समर्थन किया। विचारों की शुद्धि होनी चाहिए। मन, वचन और कर्म से किसी को भी हानि न पहुंचाना ही सच्ची अहिंसा है। महावीर स्वामी ने कहा था कि सभी जीवों में आत्मा होती है, इसलिए किसी को भी कष्ट देना अनुचित है। अहिंसा केवल व्यक्तिगत आचरण तक सीमित नहीं, बल्कि समाज में शांति और सद्भाव लाने का भी माध्यम है।