scriptअहिंसा को अपने जीवन में अपनाएं तो समाज में शांति, सहिष्णुता और करुणा को मिलेगा बढ़ावा | Patrika News
हुबली

अहिंसा को अपने जीवन में अपनाएं तो समाज में शांति, सहिष्णुता और करुणा को मिलेगा बढ़ावा

भगवान महावीर स्वामी के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने वे 2600 वर्ष पहले थे। उनका जीवन और उपदेश मानवता को शांति, अहिंसा, सत्य, त्याग और सह-अस्तित्व का संदेश देते हैं, जो वर्तमान समय की सामाजिक, राजनीतिक और पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत कर सकते हैं। महावीर स्वामी का मुख्य सिद्धांत अहिंसा है, जो आज के समाज में बढ़ती हिंसा, आतंकवाद, घरेलू हिंसा और युद्ध की स्थितियों में अत्यंत प्रासंगिक है। यदि हम अहिंसा को अपने जीवन में अपनाएं, तो समाज में शांति, सहिष्णुता और करुणा को बढ़ावा मिलेगा। राजस्थान पत्रिका हुब्बल्ली संस्करण के बीसवें स्थापना दिवस के अवसर पर हुब्बल्ली में श्रीमरुदेवा मंडल के साथ मौजूदा समय में भगवान महावीर स्वामी के विचारों की प्रासंगिकता विषयक राजस्थान पत्रिका परिचर्चा रखी गई। इस दौरान महिलाओं ने अपने विचार रखे। प्रस्तुत हैं परिचर्चा के प्रमुख अंश:

हुबलीMar 24, 2025 / 04:33 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

राजस्थान पत्रिका परिचर्चा में विचार रखती श्रीमरुदेवा मंडल की सदस्य।

राजस्थान पत्रिका परिचर्चा में विचार रखती श्रीमरुदेवा मंडल की सदस्य।

सबसे महत्वपूर्ण संदेश अहिंसा
श्रीमरुदेवा मंडल की अध्यक्ष मंजू मांडौत रेवतड़ा ने कहा, भगवान महावीर स्वामी का संदेश हमें अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकांतवाद की राह पर चलने की प्रेरणा देता है। महावीर स्वामी का सबसे महत्वपूर्ण संदेश अहिंसा है। आज के दौर में जब चारों ओर हिंसा, वैमनस्य और तनाव है, तब अहिंसा की राह अपनाना ही सच्चा समाधान है। आज के समय में भौतिकवाद हावी हो गया है। लोग धन एवं वों के पीछे भाग रहे हैं लेकिन शांति नहीं मिल रही। महावीर स्वामी का अपरिग्रह सिद्धांत हमें यह सिखाता है कि सच्चा सुख त्याग और संतोष में हैं।
जैन धर्म तीर्थंकरों के जीवन और शिक्षा पर आधारित
जया मुणोत सिवाना ने कहा, महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे। उनके पिता राजा सिद्धार्थ और माता रानी त्रिशला थीं और बचपन में उनका नाम वद्र्धमान था। जैन धर्म 24 तीर्थंकरों के जीवन और शिक्षा पर आधारित है। तीर्थंकर यानी वो आत्माएं जो मानवीय पीड़ा और हिंसा से भरे इस सांसारिक जीवन को पार कर आध्यात्मिक मुक्ति के क्षेत्र में पहुंच गई हैं। सभी जैनियों के लिए 24वें तीर्थंकर महावीर जैन का खास महत्व है।
महावीर स्वामी के जीवन से लें प्रेरणा
समता मेहता सिवाना ने कहा, आज जब हम छोटी बातों को लेकर भी डिप्रेशन में चले जाते हैं लेकिन हमें भगवान महावीर स्वामी के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। उनका जीवन प्रेरक रहा है। यदि हम भगवान महावीर स्वामी की बताई कुछ बातों को भी जीवन में उतार लें तो हमारा जीवन सफल हो जाएगा।
जीव रक्षा की भावना
डिम्पल मांडौत जालोर ने कहा, भगवान महावीर स्वामी ने जीव रक्षा को लेकर भी प्रेरणा दी थी। जिसे जीवन में अपनाए जाने की जरूरत है। जो इंसान मन में जीव रक्षा की भावना को विकसित कर लेता है, उसके मन में दया भावना का आना स्वाभाविक है। भगवान महावीर स्वामी की जीवनी अपने आप में मानवता के लिए प्रेरणा है। इसे जानकर जीवन को सफल बनाया जा सकता है। हर इंसान को भगवान व संतों की जीवनी से ज्ञान लेना चाहिए।
समूची मानवता की सेवा के लिए जीवन
राखी मंडलेशा मुण्डारा ने कहा, भगवान महावीर स्वामी अपार शक्ति के मालिक थे। केवल जैन धर्म ही नहीं, बल्कि समूची मानवता की सेवा के लिए भगवान महावीर स्वामी ने जीवन व्यतीत किया था। भगवान महावीर द्वारा की गई तपस्या युगों-युगों तक मानवता का उद्धार करती रहेगी। भगवान महावीर स्वामी ने इंसान को इंसानियत से अवगत करवाया था। इसे समाज कभी भी भूला नहीं सकता।
अहिंसा व परमोधर्म को अपनाएं
रेखा तलेसरा सादड़ी ने कहा, भगवान महावीर ने कहा था कि अगर इंसान अहिंसा व परमोधर्म को अपना ले तो वह जीवन में कभी भी कष्ट नहीं पा सकता। भगवान महावीर ने इंसान को सद्भावना के मार्ग पर चल कर आगे बढऩे को प्रेरित किया था।
महावीर का ध्यान करने से मन मंगलमय
प्रीति लूूंकड़ समदड़ी ने कहा, भगवान महावीर का ध्यान करने मात्र से ही मन मंगलमयी हो जाता है। मोक्ष की प्राप्ति के लिए भगवान महावीर की शरण सबसे उत्तम मार्ग है। भगवान महावीर की शरण में आने वाले में न तो गलत धारणा पैदा होती है व न ही मन में दुर्बलता आती है। इसलिए भगवान महावीर के बताए मार्ग पर चलकर ही मोक्ष की प्राप्ति की जा सकती है।
कुण्डलपुर महावीर स्वामी की जन्मभूमि
प्रिया पारेख शिवगंज ने कहा, महावीर स्वामी की जन्मभूमि बिहार के नालन्दा जिले की कुण्डलपुर है। कुण्डलपुर में भगवान महावीर के जन्मस्थान पर भव्य मंदिर बना हुआ है। कुण्डलपुर जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।
अहिंसा परमो धर्म का संदेश
रेणू पोरवाल बागरा ने कहा, भगवान महावीर ने अहिंसा परमो धर्म का संदेश दिया था। भगवान महावीर ने अहिंसा को परम धर्म बताया और अपने जीवन तथा उपदेशों के माध्यम से इसका प्रचार किया। उनका मानना था कि अहिंसा केवल शारीरिक हिंसा से बचने तक सीमित नहीं है, बल्कि विचारों, वाणी और कर्मों में भी अहिंसा का पालन किया जाना चाहिए।
विचारों की शुद्धि होनी चाहिए
सीमा डूमावत पोसालिया, साधना जैन जालोर एवं हर्षा जैन बरलूट ने भी भगवान महावीर के सिद्धातों को जीवन में अपनाने हुए आगे बढऩे का समर्थन किया। विचारों की शुद्धि होनी चाहिए। मन, वचन और कर्म से किसी को भी हानि न पहुंचाना ही सच्ची अहिंसा है। महावीर स्वामी ने कहा था कि सभी जीवों में आत्मा होती है, इसलिए किसी को भी कष्ट देना अनुचित है। अहिंसा केवल व्यक्तिगत आचरण तक सीमित नहीं, बल्कि समाज में शांति और सद्भाव लाने का भी माध्यम है।

Hindi News / Hubli / अहिंसा को अपने जीवन में अपनाएं तो समाज में शांति, सहिष्णुता और करुणा को मिलेगा बढ़ावा

ट्रेंडिंग वीडियो