रिकॉर्ड अनुदान से बदली तस्वीर
राज्य सरकार ने खेतों की सुरक्षा और जल संरक्षण के लिए फार्म पौंड, डिग्गी, सिंचाई पाइपलाइन और तारबंदी जैसे कार्यों में अभूतपूर्व अनुदान वितरित किया है। 32,164 फार्म पौंड निर्माण के लिए अनुदान मिला, जो पिछले पांच वर्षों की तुलना में अधिक है। 7,465 डिग्गियों के लिए अनुदान देकर जल संचयन को बढ़ावा मिला। 25,787 किलोमीटर सिंचाई पाइपलाइन बिछाकर जल का कुशल उपयोग सुनिश्चित किया गया। 25,400 किलोमीटर तारबंदी के लिए 286 करोड़ रुपये का अनुदान देकर फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई।
मृदा स्वास्थ्य और प्राकृतिक खेती पर जोर
सरकार ने मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने और रासायनिक रहित खेती को बढ़ावा देने के लिए अब तक 12.86 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए हैं। 37,911 वर्मी कंपोस्ट इकाइयों की स्थापना और 50.87 लाख महिला कृषकों को बीज मिनी किट का वितरण आत्मनिर्भरता की ओर एक अहम कदम है।
सौर ऊर्जा और सूक्ष्म सिंचाई से बढ़ी उत्पादकता
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में 41,690 सोलर पंप सेट लगाए गए हैं, जिससे 650 करोड़ रुपए से अधिक का अनुदान दिया गया। ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति के माध्यम से लाखों हेक्टेयर भूमि को सिंचित किया गया है, जिससे किसानों की सिंचाई लागत घटी और उत्पादन बढ़ा।
संरक्षित खेती और भंडारण से लाभ
राज्य में ग्रीन हाउस, शेडनेट हाउस, मल्चिंग और प्याज भंडारण गृहों के ज़रिये संरक्षित खेती को बढ़ावा मिला है। इससे उत्पादन तो बढ़ा ही है, साथ ही किसानों को बेहतर कीमतें भी मिलने लगी हैं।
फल बगीचों और जैविक खेती की दिशा में पहल
राज्य सरकार ने संतरा, अमरूद, अनार, नींबू, आंवला, किन्नू जैसे फलों के बगीचे स्थापित करवाकर किसानों की आमदनी के नए रास्ते खोले हैं। साथ ही, बैल से खेती करने वाले किसानों को वार्षिक 30,000 रुपये और गोवर्धन योजना के अंतर्गत जैविक खाद उत्पादन के लिए 10,000 रुपये प्रति कृषक अनुदान प्रदान किया जा रहा है।
तकनीक और प्रशिक्षण से मिला सहारा
सरकार केवल वित्तीय सहायता ही नहीं दे रही, बल्कि ई-नाम पोर्टल के ज़रिए विपणन सुविधाएं, कृषि यंत्रों पर सब्सिडी, मृदा परीक्षण, और कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा प्रशिक्षण जैसी योजनाओं के ज़रिए किसानों को व्यापक सहयोग दिया जा रहा है।