राजस्थान सरकार खनन क्षेत्र को नई गति देने के उद्देश्य से एक बड़ा और समन्वित कदम उठाने जा रही है। राज्य के नीलाम खनिज ब्लॉकों को शीघ्र परिचालन में लाने की दिशा में अब निर्णायक पहल की जा रही है। इसके तहत 16 जुलाई को जयपुर में खान विभाग की ओर से एक उच्च स्तरीय कार्यशाला आयोजित की जाएगी, जिसमें एनवायरमेंटइम्पेक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी (SEIAA), भारतीय खान ब्यूरो (IBM), राजस्व, वन, पर्यावरण, भूविज्ञान, खान विभाग और अन्य स्टेक होल्डर्स एक साझा मंच पर मंथन करेंगे।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने नीलाम खनिज ब्लॉकों के शीघ्र संचालन को लेकर गंभीरता दिखाई है और निर्देश दिए हैं कि विभाग आपसी समन्वय बढ़ाकर अनुमतियों में हो रही देरी को दूर करें। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा है कि खानों के संचालन में आने से न केवल अवैध खनन पर रोक लगेगी, बल्कि निवेश, रोजगार और राजस्व के नए द्वार भी खुलेंगे।
प्रमुख सचिव खान, भूविज्ञान एवं पेट्रोलियम टी. रविकान्त ने बताया कि इस कार्यशाला का उद्देश्य ऑक्शन ब्लॉकों के संचालन में आ रही बाधाओं की गहराई से समीक्षा कर उनका व्यावहारिक समाधान निकालना है। उन्होंने बताया कि राजस्थान, मेजर मिनरल ब्लॉकों की नीलामी के क्षेत्र में देश में पहले स्थान पर है, अब चुनौती है इन्हें शीघ्र संचालन में लाने की।
रविकान्त ने बताया कि ब्लॉकों के संचालन में सबसे बड़ी बाधा वन भूमि डायवर्जन, चारागाह भूमि का रूपांतरण, पर्यावरण मंजूरी, माइनिंग प्लान स्वीकृति जैसी अनुमतियों में हो रही देरी है, जिससे खनन कार्य आरंभ नहीं हो पाता और इससे संभावित निवेश, रोजगार व राजस्व प्रभावित होता है।
राजस्थान खान विभाग द्वारा उठाया गया यह कदम देश में माइनिंग सेक्टर में समन्वित प्रयासों की दिशा में संभवतः पहली बार हो रहा है। यह पहल न केवल प्रक्रियागत रुकावटों को दूर करेगी, बल्कि राज्य के खनन क्षेत्र को नई ऊर्जा भी देगी।