राजस्थान में उग रहा ‘इजरायली खजाना’, किसानों को बना रहा मालामाल, एक बार का इन्वेस्ट और 100 साल तक बंपर कमाई
Olive Farming: साल 2007 में इजरायल से राजस्थान आए पौधे अब राजस्थान के किसानों के लिए किसी खजाने से कम नहीं है। जैतून एक ऐसा पौधा है, जो एक बार लगाने के बाद करीब 100 साल तक पैसा कमाकर देता है। राजस्थान की धरती जैतून के लिए काफी उपयुक्त मानी जाती है।
Olive Farming: जयपुर। राजस्थान की तपती धरती अब हरियाली की नई उम्मीदों का केंद्र बन रही है, जहां कभी सिर्फ रेत और सूखा देखा जाता था, वहीं अब जैतून के बागान लहराने लगे हैं। ये बागान सिर्फ हरियाली नहीं, बल्कि ‘इजरायली खजाने’ के नाम से पहचाने जाने लगे हैं। जैतून की यह खेती राजस्थान के किसानों को मालामाल बना रही है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि एक बार लगाया गया पौधा करीब 100 साल तक फल दे सकता है।
राजस्थान के बीकानेर, नागौर, जोधपुर, झुंझुनूं और हनुमानगढ़ जैसे जिलों में अब पारंपरिक बाजरा, गेहूं या चने के साथ-साथ जैतून की खेती भी तेजी से फैल रही है। जैतून का यह पौधा पहली बार इजरायल से साल 2007 में लाया गया, जहां कम पानी, शुष्क और कठोर वातावरण में भी यह पौधा अच्छी पैदावार देता है। राजस्थान सरकार ने साल 2007 में इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया और आज यह सैकड़ों किसानों की आजीविका का आधार बन चुका है।
राजस्थान में इन किस्मों के लगाए जा रहे पौधे
राजस्थान ऑलिव कल्टीवेशन लिमिटेड (ROCL) की रिपोर्ट के अनुसार, जैतून की किस्में जैसे Barnea, Arbequina, Picholine, Coratina और Frantoio को राजस्थान की मिट्टी और जलवायु के लिए अनुकूल पाया गया है। ROCL के मुताबिक, राजस्थान में पैदा होने वाले जैतून के तेल की क्वालिटी भी काफी अच्छी है। ऐसे में पूरी दुनिया में राजस्थानी जैतून के तेल की डिमांड है। जैतून के पत्ते और छाल भी बिक जाते हैं।
एक बार की लागत, सालों की आमदनी
जैतून की खेती की सबसे बड़ी खासियत इसकी लॉन्ग टर्म कमाई है। एक बार यदि किसान जैतून के पौधे लगाता है, तो आने वाले 50 से 100 वर्षों तक उसे नियमित फल मिलते हैं। इन फलों से निकला तेल वैश्विक बाजार में काफी महंगे दाम पर बिकता है। प्रत्येक पौधा सालाना लगभग 25-30 किलोग्राम जैतून देता है और उस फल से औसतन 15% तेल निकाला जा सकता है।
भारतीय बाजार में जैतून के तेल की कीमत
जैतून का तेल भारतीय बाजार में ₹1000 से ₹1500 प्रति लीटर की दर से बिकता है। यानी यदि किसी किसान के पास सिर्फ 1 हेक्टेयर भूमि हो और वह पूरी तरह जैतून की खेती कर ले, तो कुछ ही वर्षों में उसकी आमदनी लाखों में पहुंच सकती है।
सरकार से मिल रही भारी सब्सिडी
राजस्थान सरकार और ROCL किसानों को जैतून की खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। किसानों को इस योजना के तहत पौधों की खरीद, सिंचाई तकनीक और उर्वरक उपयोग पर ₹50,000 तक की सब्सिडी दी जाती है। इसके अलावा, राज्य सरकार ने बीकानेर जिले में ऑलिव ऑयल क्रशिंग प्लांट की स्थापना की है, जिससे किसानों को फलों को बेचने और प्रोसेस करने में सहूलियत मिलती है।
ROCL द्वारा जैतून की खेती के लिए तकनीकी मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और फील्ड विज़िट्स भी कराए जा रहे हैं ताकि किसान नई तकनीक और प्रक्रियाओं से जुड़े रहें।
राजस्थान के किसानों के लिए जैतून बेहतर विकल्प
राजस्थान का बड़ा हिस्सा शुष्क और अर्ध-शुष्क है, जहां परंपरागत फसलों को उगाना चुनौतीपूर्ण होता है। जैतून की फसल कम पानी में भी बढ़ती है और इसे ज्यादा कीटनाशकों की भी जरूरत नहीं होती। इसकी जड़ें गहराई तक जाती हैं, जिससे भूजल स्तर भी संतुलित रहता है।
यह खेती न सिर्फ किसानों की आमदनी बढ़ा रही है, बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने, रेत के कटाव को रोकने, और हरियाली बढ़ाने में भी मददगार हो रही है। यही कारण है कि इसे पर्यावरण के लिहाज से भी एक टिकाऊ और स्मार्ट खेती माना जा रहा है।
NSG कमांडो ने जैतून की खेती से किया कमाल
राजस्थान के झुंझुनूं जिले के किसान मुकेश मांझु की कहानी इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। पूर्व NSG कमांडो रहे मुकेश ने 450 जैतून के पौधे लगाए थे। कुछ ही वर्षों में उनकी सालाना कमाई ₹14-15 लाख तक पहुंच गई। वह जैतून का तेल भी खुद निकालते हैं और सीधे ग्राहकों को बेचते हैं।
मुकेश कहते हैं, ‘ये सिर्फ पौधे नहीं, हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए विरासत हैं। हर किसान को कम से कम अपनी जमीन के कुछ हिस्से में जैतून की खेती जरूर करनी चाहिए।’
जुलाई-अगस्त महीने में लगाए जाते हैं जैतून के पौधे
जैतून की खेती आज राजस्थान के लिए सिर्फ एक प्रयोग नहीं, बल्कि एक स्थायी और लाभकारी कृषि मॉडल बन चुका है। जैतून के नए पौधे लगाने के लिए जुलाई-अगस्त का महीना सबसे बेहतर माना जाता है। जिन इलाकों में पानी की व्यवस्था है, वहां पर नवंबर-दिसंबर के महीने में भी जैतून के पौधे लगाए जाते हैं।
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