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Jaipur: सात साल की सजा का प्रावधान, जुर्माना और भी बहुत कुछ, इन चार गंभीर धाराओं में हुआ है केस दर्ज

Poster Controversy Case: विधायक के खिलाफ बीएनएस की जो धाराएं दर्ज की गई हैं, उन पर कितनी सजा है, कितना जुर्माना है और वे जमानती-गैर जमानती हैं…? इसकी जानकारी निम्न प्रकार से है। विधायक पर बीएनएस की धारा 298, 300, 302, 351 (3) के तहत केस दर्ज किया गया है।

जयपुरApr 27, 2025 / 11:23 am

JAYANT SHARMA

BJP MLA Balmukund Acharya

BJP MLA Balmukund Acharya

Poster Controversy Case Jaipur: पहलगाम आतंकी हमले के बाद जयपुर समेत प्रदेश भर में आतंक का विरोध जारी है। लेकिन इस बीच जयपुर के हवामहल विधायक बाल मुकुंदाचार्य का विरोध प्रदर्शन और पोस्टर कंट्रोवर्सी चर्चा में रही है। जामा मस्जिद के बाद और अंदर जाकर प्रदर्शन और नारेबाजी के बाद उन पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है। यह मुकदमा माणक चौक थाना पुलिस ने दर्ज किया है और इसकी जांच की जा रही है। मुकदमा संख्या 113 है। साथ ही चार गंभीर धाराएं दर्ज की गई है। विधायक के खिलाफ बीएनएस की जो धाराएं दर्ज की गई हैं, उन पर कितनी सजा है, कितना जुर्माना है और वे जमानती-गैर जमानती हैं…? इसकी जानकारी निम्न प्रकार से है। विधायक पर बीएनएस की धारा 298, 300, 302, 351 (3) के तहत केस दर्ज किया गया है।

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धार्मिक स्वतंत्रता और धार्मिक भावनाओं की रक्षा के लिए BNS की महत्वपूर्ण धाराएँ, जानिए विस्तार से

भारतीय न्याय संहिता (BNS) ने धार्मिक स्वतंत्रता और धार्मिक भावनाओं की रक्षा के लिए कई सख्त प्रावधान किए हैं। इनमें धारा 300, 302 और 298 प्रमुख हैं, जो धार्मिक अनुष्ठानों में विघ्न डालने, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने और पूजा स्थलों को नुकसान पहुँचाने से संबंधित अपराधों को कड़ी सजा के दायरे में लाती हैं।


धारा 300 BNS का प्रावधान

धारा 300 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति धार्मिक पूजा या अनुष्ठान में विधिपूर्वक लगे किसी जनसमूह में स्वेच्छा से विघ्न डालता है, तो उसे एक वर्ष तक की जेल या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है। यहाँ “स्वेच्छा से” का अर्थ है जानबूझकर विघ्न उत्पन्न करना, जैसे शोर मचाना, झगड़ा करना या पूजा स्थल में बाधा डालना। इस धारा का उद्देश्य धार्मिक स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण धार्मिक गतिविधियों की रक्षा करना है।


धारा 302 BNS का विवरण

धारा 302 उन मामलों में लागू होती है जब कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी अन्य व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के इरादे से अपमानजनक शब्द बोलता है, इशारा करता है या कोई अपमानजनक वस्तु दिखाता है। दोषी पाए जाने पर एक वर्ष तक की सजा, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। इस प्रावधान का लक्ष्य समाज में धार्मिक सौहार्द बनाए रखना है।


धारा 298 BNS का महत्व

धारा 298 पूजा स्थलों या पवित्र वस्तुओं को जानबूझकर नुकसान पहुँचाने या अपवित्र करने से संबंधित है। यदि किसी व्यक्ति की मंशा धार्मिक भावनाओं को आहत करने की होती है और वह पूजा स्थल को नुकसान पहुँचाता है या अपवित्र करता है, तो उसे दो वर्ष तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।


BNS धारा 351(3) के तहत गंभीर अपराध की सजा

धारा 351(3) के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति या उसके परिवार के सदस्य को गंभीर चोट पहुँचाता है या उसकी संपत्ति को नुकसान पहुँचाता है, तो उसे सात वर्ष तक की कैद और जुर्माने की सजा दी जा सकती है। इन धाराओं के तहत कड़े प्रावधानों से स्पष्ट है कि भारतीय न्याय संहिता धार्मिक स्वतंत्रता, धार्मिक स्थलों की पवित्रता और सामाजिक सौहार्द को बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

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