भजनलाल सरकार के इस बजट को ग्रीन थीम बजट नाम दिया गया, जिसमें रिन्यूएबल एनर्जी, ग्रामीण विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर दिया गया।
टीकाराम जूली ने बजट पर दी प्रतिक्रिया
टीकामराम जूली ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि, यह बजट केवल राजस्थान की जनता पर कर्ज का बोझ डालने वाला है। राज्य सरकार का वित्तीय प्रबंधन पूरी तरह फेल है यह बजट में दिख रहा है। पिछले बजट में अनुमान लगाया गया कि करीब 2 लाख 65 हजार करोड़ रु की राजस्व प्राप्तियां होंगी परन्तु ये लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया और 2 लाख 62 हजार 618 करोड़ रु की राजस्व प्राप्तियां ही हुईं हैं जबकि केन्द्र सरकार से पहले से ज्यादा मदद मिली है। उन्होंने कहा कि 2024-25 में राजस्व व्यय का लक्ष्य 3,34,796 करोड़ रु का रखा गया परन्तु व्यय केवल 2,94,557 करोड़ ही किए गए। 2024-25 में राजस्व घाटा 25,758 करोड़ रु का लक्ष्य रखा गया था जो लगभग 32,000 करोड़ रु पहुंच गया है। राजकोषीय घाटा भी 70,000 करोड़ के पार पहुंच गया है जो वर्ष 2025-26 में बढ़कर 84,643 करोड़ हो जाएगा। राजस्थान पर भाजपा सरकार में कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है और आने वाले दिनों में यह सरकार पर कर्ज सवा 7 लाख करोड़ रु के पार हो जाएगा यानी हर राजस्थानी पर 1 लाख रु का कर्ज ये सरकार लादने जा रही है।
जूली ने कहा- पिछली बार न तो बजट पूर्व चर्चा में और न ही बजट के बाद की प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त मंत्री महोदया को मुख्यमंत्री जी ने अपने साथ बिठाया था। इस बार बजट पूर्व चर्चा में भी वित्त मंत्री महोदया को बिठाया और बजट के बाद की प्रेस वार्ता में भी बिठाया हालांकि उन्हें बोलने नहीं दिया गया। यह दिखाता है कि भाजपा में श्रेय लेने की राजनीति चरम पर है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आमजन के सामने आज की सबसे बड़ी चुनौती महंगाई है। आज राज्य सरकार द्वारा पेश किए गए बजट से हमें उम्मीद थी कि महंगाई कम करने को लेकर कोई घोषणा की जाएगी, हमारी सरकार ने बजट 2023-24 में 19,000 करोड़ का महंगाई राहत पैकेज दिया था, परन्तु आज महंगाई शब्द ही पूरे बजट में नहीं आया। पिछली बार सरकार ने 5 वर्ष की कार्ययोजना बनाकर 10 संकल्प तय किए थे। इस बार इन संकल्पों का भी कोई जिक्र बजट में नहीं किया गया।
घोषणा पत्र के वादों को लेकर घेरा
टीकाराम जूली ने कहा कि पिछले बजट के रिप्लाई के दौरान मुख्यमंत्री जी घोषणा पत्र की 50% घोषणाएं पूरा होने की बात कही, इस बार वित्त मंत्री ने 58% पूरा होने की बात कही। मतलब एक साल में केवल 8% वादों को ही पूरा किया गया है। पिछले बजट में सरकार ने वादा किया था कि राजस्थान इकोनॉमिक रिवाइवल टास्क फोर्स बनाएंगे। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में अक्टूबर 2024 में आपने बना दी। अक्टूबर से आज तक मुख्यमंत्री जी ने इस टास्क फोर्स की एक भी बैठक ली है क्या? ये भाजपा सरकार की प्राथमिकता है। इसी कारण राज्य सरकार का वित्तीय प्रबंधन पूरी तरह फेल है यह बजट में दिख रहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य दोनों जगह भाजपा की सरकार है तब भी रिफाइनरी के काम को आप पूरा नहीं कर पा रहे हैं। 31 दिसंबर 2024 तक रिफाइनरी में उत्पादन शुरू होना था पर अभिभाषण में कहा गया कि 83% काम ही पूरा हुआ है। भाजपा सरकार की काम अटकाने की आदत के कारण जिस रिफाइनरी का बजट 40,000 करोड़ रुपये का था वो आज 1 लाख करोड़ रुपये का होने जा रहा है।
जूली ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के रिफाइनरी का दौरा करने के बाद कहा गया कि अप्रेल 2025 तक काम शुरू हो जाएगा, आज बजट में कहा गया है कि अगस्त 2025 तक काम पूरा होगा। 2013 से 2018 तक भाजपा सरकार ने काम अटकाया, हमने 5 साल काम तेजी से किया पर कोविड आया तो काम रुका, यूक्रेन युद्ध से आयात होने वाला सामान बहुत महंगा हुआ तो काम धीमा हुआ परन्तु करीब 80% काम हमारी सरकार के 5 साल में पूरा हुआ। ये 1 लाख करोड़ रुपये में राजस्थान सरकार का हिस्सा भी लगातार बढ़ता जा रहा है और आप अपना हिस्सा नहीं दे पा रहे हैं इसलिए ये काम धीमा चल रहा है।
ERCP का भी उठाया मुद्दा
उन्होंने कहा कि आज की बजट घोषणा के बाद ERCP को लेकर हमारी आशंकाएं और गहरा गईं हैं। पहले कहा गया कि ये नई योजना इसलिए लाई गई है जिससे केन्द्र 90% फंडिंग करे और राजस्थान को केवल 5% राशि देनी पड़े, बाकी 5% मध्य प्रदेश दे। करीब 45,000 करोड़ की योजना में 5% तो केवल 2250 करोड़ रु ही होता है तो आज फिर ERCP के नाम पर 9300 करोड़ रुपये कि नई घोषणा करने की क्या आवश्यकता महसूस की गई? सरकारी संपत्तियों को लेकर टीकाराम जूली ने कहा कि बजट में असेट मॉनेटाइजेशन की बात की गई है यानी सरकार अपनी संपत्तियों को बेचने जा रही है। क्या राजस्थान सरकार की स्थिति इतनी कमजोर हो गई है कि अपना खर्च चलाने के लिए उन्हें अब सरकारी संपत्तियों को बेचना पड़ रहा है।
हमारी सरकार ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन में हर वर्ष 15% बढ़ोत्तरी का कानून राजस्थान मिनिमम गारंटी एक्ट बनाया था। इससे पिछली बार पेंशन 1000 से बढ़कर 1150 रु हुई, इस वर्ष इसमें 15% बढ़ोत्तरी होकर कम से कम 1322 रु होनी चाहिए थी परन्तु इसे केवल 1250 रु किया गया है। यह अनुचित है।
उन्होंने कहा कि ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे BOT मॉडल पर बनाकर 60,000 करोड़ रु की घोषणा की है जबकि DPR में इनकी लागत 1 लाख करोड़ से ज्यादा की आई, फिर आधे बजट में ये कैसी सड़कें बनाएंगे l