इन ऑपरेशन में लिया भाग
30 वर्षों तक भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके कोटपूतली के निकटवर्ती ग्राम सरूण्ड निवासी कैप्टन तंवर ने 19 वर्ष बॉर्डर एरिया में बिताए हैं और 14 से अधिक खतरनाक सैन्य अभियानों में हिस्सा लिया है। इन अभियानों में कारगिल युद्ध, एनएसजी अक्षरधाम ऑपरेशन, कंधार विमान अपहरण ऑपरेशन, नॉर्थ ग्लेशियर ऑपरेशन, ऑपरेशन रिहानो (असम), ऑपरेशन मेघदूत (नागालैंड), ऑपरेशन ऑरचिड सहित राष्ट्रीय राइफल मिशन और दक्षिण अफ्रीका में संयुक्त राष्ट्र शांतिसेना मिशन भी शामिल हैं। वे एनएसजी कमांडो के रूप में 5 वर्षों तक तैनात रहे। यह भी पढ़ेंं: फिर पकड़ा पाकिस्तान का झूठ: भारत के राफेल फाइटर जैट को गिराने का पाकिस्तान का दावा झूठा दे रहे सेना भर्ती की मुफ्त ट्रेनिंग
रिटायरमेंट के बाद कैप्टन तंवर ने अपने गांव सरूण्ड में एक जिम शुरू कर स्थानीय युवाओं को सेना भर्ती की मुफ्त ट्रेनिंग देना शुरू किया। उनकी ट्रेनिंग से अब तक दर्जनों युवा सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों में भर्ती हो चुके हैं। कैप्टन तंवर का कहना है कि देश को हमारी जरूरत पड़े तो हम फिर से तैयार हैं। पूर्व सैनिकों के अनुभव को जंग के समय इस्तेमाल किया जा सकता है। हम घायलों को अस्पताल पहुंचाने, आमजन को रेस्क्यू करने, सैनिकों को रसद सामग्री,दवा वगैरा पहुंचाने और जरूरत पडऩे पर हथियार उठा कर युद्ध भी कर सकते हैं।
देश की सेवा को जीवन का उद्देश्य मानने वाले कैप्टन तंवर रिटायरमेंट के बाद भी सक्रिय हैं। गांव के युवाओं में देशभक्ति की भावना और सैनिक बनने का जज़्बा जगाने वाले कैप्टन तंवर आज भी पूरी तरह फौजी जज़्बे में देश सेवा के लिए तत्पर हैं। उनका कहना है कि ‘देशभक्ति वर्दी से नहीं, सोच और कर्म से होती है’ यह कहते हुए वे आज भी गांव के मैदान में युवाओं को दौड़ाते दिख जाते हैं। कई युवाओं के जीवन को दिशा देने वाले तंवर युवाओं में राष्ट्रभक्ति की लौ जलाए हुए हैं।
भारत मां के लिए जान भी हाजिर
रिटायर्ड कैप्टन ज्ञानेन्द्र सिंह तंवर का कहना है कि उन्होंने फौज में रहते हुए जो अनुभव अर्जित किया है उसे देश की सुरक्षा के लिए फिर से इस्तेमाल करना चाहते हैं। जरूरत पड़ी तो बुजुर्ग हाथों से भी दुश्मन का मुकाबला करेंगे।