हकीकत : दिखावा ज्यादा, कार्रवाई शून्य
दुर्ग के मुख्य प्रवेश द्वार पर तैनात यातायातकर्मी महज औपचारिकता निभा रहे हैं। नियम तोडऩे वाले वाहन चालकों को रोकने की बजाय वे मूकदर्शक बने रहते हैं। दुर्गवासियों का कहना है कि आखिर किस दबाव में वे चुप है…यह समझ से परे हैं। शायद किसी बड़े हादसे के बाद ही यह तंत्र जागेगा
होली के बाद बढ़ी फिसलन, दुपहिया वाहन गिर रहे
होली के बाद घाटियों पर गुलाल की परत जमने से सडक़ें और अधिक फिसलन भरी हो गई हैं। आए दिन दुपहिया वाहन गिरते देखे जा सकते हैं, जिससे राहगीरों की परेशानी बढ़ गई है। दुर्भाग्यवश अनियंत्रित गति से दौड़ रहे तिपहिया वाहन फिसले, तो परिणाम बेहद भयावह होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
श्रद्धालु और पर्यटक सबसे अधिक जोखिम में
सोनार दुर्ग में स्थित जैन मंदिर, लक्ष्मीनाथ मंदिर और बाबा रामदेव मंदिर में रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इसके अलावा देश-विदेश से पर्यटक भी यहां पहुंचते हैं। भीड़भाड़ वाली घाटियों में तेज़ रफ्तार वाहनों का दौडऩा किसी भी दिन जनहानि का कारण बन सकता है।
एसपी साहब…. एक दिन में सुधर सकती हैं व्यवस्था
दुर्गवासियों का कहना है कि सोनार किले में सुरक्षा सुनिश्चित करना पुलिस की जिम्मेदारी है। पुलिस अधीक्षक चाहें तो एक सख्त आदेश से यह अव्यवस्था एक दिन में खत्म हो सकती है—अन्यथा यह दर्द बना रहेगा और किसी दिन कोई अनमोल जान चली जाएगी।