दरअसल देर रात तक झालावाड़ जिला प्रशासन ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और 3 JCB की मदद से गड्ढे खोदे। जिससे सुबह 4 बजे मासूम बालक का शव बाहर निकला। जिसके बाद शव को अस्पताल ले जाया गया।
रेस्क्यू ऑपरेशन असफल, मासूम ने तोड़ा दम
बालक को बचाने के लिए गैस पाइप से ऑक्सीजन पहुंचाई गई और कैमरे से नजर रखी जा रही थी। शुरुआत में वह गड्ढे में बैठा दिखाई दिया, लेकिन कोई हलचल नहीं कर पा रहा था। अंततः सोमवार सुबह बालक की मौत की पुष्टि कर दी गई और शव बाहर निकाला।
पहले भी हो चुके हैं ऐसे हादसे, नहीं लिया सबक
इससे पहले दौसा में आर्यन और कोटपूतली के किरतपुरा की ढाणी बडियावाली में चेतना के साथ भी ऐसा हादसा हो चुका है, जिसमें दोनों मासूमों की मौत हो गई थी। चेतना को निकालने का ऑपरेशन करीब दस दिन चला और सरकार को दो करोड़ रुपये खर्च करने पड़े, लेकिन इन घटनाओं से भी कोई सबक नहीं लिया गया। ग्राम पंचायत से जिला परिषद सीईओ तक की जिम्मेदारी
सुप्रीम कोर्ट के निदेशानुसार जनवरी में पंचायती राज विभाग ने इस मामले में गाइडलाइन जारी की। इसके अनुसार सरकार ने खुले बोलवेल के लिए ग्राम पंचायत से लेकर जिला परिषद सीईओ तक की जिम्मेदारी तय की है। इसमें जिला कलक्टरों को जुर्माना लगाने का अधिकार भी दिया गया है।