पुलिस ने बताया कि रविवार को प्रह्लाद पुत्र कालूलाल अपने माता-पिता के साथ खेत पर गया था। माता-पिता खेत में काम करने में व्यस्त थे और प्रह्लाद बोरवेल के पास खेल रहा था। इसी दौरान दोपहर करीब 1:40 बजे वह अचानक 300 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया। यह बोरवेल तीन दिन पहले ही खुदवाया गया था और इसे ठीक से ढका नहीं गया था। बताया जा रहा है कि बच्चा बोरवेल को ढकने के लिए रखे गए पत्थर के साथ ही नीचे गिर गया।
प्रशासन और ग्रामीणों ने किया बचाव का प्रयास बच्चे के बोरवेल में गिरने की सूचना मिलते ही ग्रामीणों और परिजनों ने उसे निकालने के लिए रस्सी डालकर प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद प्रशासन को जानकारी दी गई। सूचना मिलते ही थाना पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। झालावाड़ से एसडीआरएफ (स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स) की टीम मौके पर पहुंची और बच्चे को बचाने का अभियान शुरू किया। कुछ ही घंटों बाद कोटा से एनडीआरएफ (नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स) की टीम भी मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन को तेज किया।
14 घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन बचाव दलों ने बोरवेल के समानांतर गड्ढा खोदकर बच्चे तक पहुंचने की कोशिश की। प्रह्लाद 30 फीट की गहराई पर अटका हुआ था और शुरू में उसकी रोने की आवाजें आ रही थीं। उसे पाइप के जरिए ऑक्सीजन दी जा रही थी ताकि वह सांस ले सके। हालांकि, इलाके का पथरीला भूभाग होने के कारण खुदाई करने में काफी दिक्कतें आईं। बचाव दलों ने देशी जुगाड़ का भी सहारा लिया और रिंग फंसाकर बच्चे को बाहर निकालने की कोशिश की। लेकिन करीब 14 घंटे चले इस रेस्क्यू ऑपरेशन के बावजूद बच्चे को बचाया नहीं जा सका।
गांव में छाया मातम इस हृदयविदारक घटना के बाद पाड़ला गांव में मातम छाया हुआ है। मासूम के माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। पूरे गांव में शोक का माहौल है। वहीं प्रशासन की ओर से लगातार लोगों से अपील की जा रही है कि खुले बोरवेल को तत्काल ढकें ताकि इस तरह की दुर्घटनाओं को टाला जा सके।