इन बातों पर रखना होगा विशेष ध्यान –
गेमिंग में न हो उपयोग। – सिर्फ क्रिएटिविटी पर फोकस। -संवेदनाओं की डिटेलिंग पर लर्निंग। -रोबोट्स क्रिएशन पर तवज्जो। ऐसे होगा उपयोग
-नई टेक्नोलॉजी समझने में। -इनोवेटिव मशीन क्रिएशन। -नए विषयों की अधिकाधिक जानकारी। -टेक्नोलॉजी को बेहतर करने में।
मानवीय क्षमताओं की ट्रेनिंग जरूरी-
एआइ तकनीक के माध्यम से स्कूल में बच्चों को ऐसे तकनीकी उपकरण बनाना सिखाए जाएंगे, जो मानवीय मूल्यों को समझें। मशीन में मानवीय सोच को समझने वाले डिटेलिंग की जाएगी। वह इंसान की सोच को समझते हुए उसके कार्यों को आसान बनाने में मदद कर सकेगी।
लगाने होंगे शिक्षक-
एआइ की अब समय के साथ आवश्यक हो गई हैं। अब सब आधुनिक होता जा रहा है और इसमें शिक्षा सबसे अहम है। सरकार को इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के दौर में स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई के लिए ऐसा माहौल देना होगा जो उन्हें आगे जाकर आधुनिक दौड़ में खड़ा रख सके। लेकिन इसमें सबसे बड़ी दिक्कत कहीं विषय अध्यापक नहीं हैं, तो कहीं जरूरत के अनुसार संकाय तक नहीं खुले हुए। ऐसी छोटी-छोटी जरूरतों को तत्काल पूरा किया जाना चाहिए। जिससे बच्चों को राहत मिल सके। स्कूलों में एआइ के लिए अलग से शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए, तभी इस विषय को खोलने का फायदा विद्यार्थियों को मिल सकेगा।
प्रशिक्षण करवा दिया-
सभी सीबीएसई स्कूलों में एआइ केरिकूलम में शामिल किया गया है। हमने जयुपर से एक्सपर्ट को बुलाकर कर तीन दिन का प्रशिक्षण करवा दिया है।हमने यहां से कम्प्यूटर टीचर को रिजनल ऑफिस भेजकर प्रशिक्षण करवा दिया गया है। अभी हमने 9-10वीं में इस सब्जेक्ट को लागू किया है।
वेदप्रकाश मीणा, प्राचार्य पीएमश्री केन्द्रीय विद्यालय,झालावाड़।