शिक्षा विभाग भी दे रहा जोर- परीक्षाओं से पहले बच्चों को तनावमुक्त रखने के लिए सरकारी और निजी स्कूलों की ओर से अलग-अलग प्रयास किए जा रहे हैं। शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों को यह निर्देश दिए जा रहे हैं कि वे बच्चों की पढ़ाई से अधिक मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें और इसके लिए अलग-अलग एक्टिविटी कराएं।
अभिभावकों को भी दिया जा रहा संदेश- सिर्फ बच्चों के लिए ही नहीं, स्कूल अभिभावकों को भी संदेश दे रहे हैं। अभिभावकों को बताया जा रहा है कि वे बच्चों को घर पर पढ़ाई का बेहतर माहौल दें और उन पर परीक्षा के दौरान दबाव न बनाएं। बच्चों को रिश्तेदारों, दोस्तों और शिक्षकों से संवाद बनाए रखने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। स्कूलों का मानना है कि परिवार का सहयोग बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
बोर्ड परीक्षा के टॉपर ने बताए अपने अनुभव
ज्यादा से ज्यादा मॉडल पेपर सॉल्व करें-
01. बोर्ड परीक्षा के विद्यार्थियों का मेरा तो यही कहना है कि परीक्षा से पूर्व ज्यादा से ज्यादा मॉडल पेपर सॉल्व करें, उन्हे ईमानदारी से वैसे ही सोल्व करें, जैसे परीक्षा में पेपर करते हैं। इससे अच्छी प्रैक्टिस हो जाती है। मैं नियमित रूप से प्रतिदिन 7-8 घंटे ही पढ़ा। जो समझ में नहीं आता था, उसे सर से स्कूल के बाद डिस्कस करता था। जो पढ़ो समझकर पढ़ो।
प्रवीण लोधा बुधवाड़ा कक्षा 10वीं टॉपर, 98.33 फीसदी
दिलखोलकर पढ़े-
2. मैं अकलेरा में कमरा किराए से लेकर रहता था। मैं मोबाइल बहुत कम यूज कराता था,कुछ देखना तब ही उठाता था। या घर पर बात करनी होती तब। बोर्ड परीक्षार्थियों से तो मेरा यही कहना है कि दिल खोलकर पढ़ाई करो कोई दिक्कत आएं तो नि:संकोच होकर गुरूजी से चर्चा करें। बोर्ड पेपर ज्यादा से ज्यादा हल करें, परीक्षा के समय में पूरा पेपर हल करने के लिए लिखने का अभ्यास करें। अभ्यास होने से मन से डर निकल जाएगा। पेपर भी अच्छे जाएंगे। परीक्षा कक्ष में पूरा पेपर पढ़े जो सबसे अच्छे से आता है, उसे पहले करें। सकारात्मक रहते हुए बिंदास होकर पेपर दें।
सुमित साहू, कक्षा 12वीं विज्ञान, 97.00 फीसदी।
पढ़ाई के लिए गोल सेट करें
03. मेरी आंखे कमजोर है इसलिए मैं लगातार नहीं पढ़ती थी। लेकिन मैं एक दिन का गोल सेट करती थी, कि आज मुझे इस चेप्टर को पूरा करना है, तो उसे पूरा करती थी। मैंने इस विषय के लिए अलग-अलग समय निर्धारित कर रखा था। जो टीचर बताते थे, उसे घर पर आकर पढ़ती थी। मैं नियमित रूप से स्कूल के अलावा 5-6 घंटे ही पढ़ाई करती थी। जब सबकुछ पढ़ लेते है तो तनाव जैसा कुछ नहीं होता है। परीक्षा के दौरान दोस्तों से कुछ समय पढ़ाई पर चर्चा करें तो मन हल्का हो जाएगा। बोर्ड परीक्षा में वो ही आता है जो हमने सालभर पढ़ा है, इसलिए बिना घबराएं परीक्षा दें।
अफशीन कुरैशी, कक्षा12वीं कला, 96.20 फीसदी।
टाइम मैनेजमेंट बहुत जरूरी –
04.बोर्ड परीक्षा में टाइम मैनेजमेंट बहुत जरूरी है।सालभर की मेहनत तीन घंटे में प्रदर्शित करनी होती है। इसलिए मैंने बोर्ड परीक्षा में सबसे पहले उन्हे प्रश्नों को हल किया जो ज्यादा नंबर के थे।हर विषय के दो-तीन मॉडल पेपर सॉल्व करें। इकोनॉमिक्स में ग्राफ बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं, प्रजेटेंशन टेबल व डायग्राम में करें। किसी भी प्रश्न का उत्तर प्वाइंट में दे, हर प्वाइंट में 6-7 लाइन में उसे समझाएं। हैडिंग व सब हैंडिंग दें, तो अच्छे नंबर आते है। मैं दो-तीन घंटे ही पढ़ती थी, लेकिन मन लगाकर पढ़ती थी।
यामिनी शर्मा, भवानीमंडी 12वीं वाणिज्य, 94.80 फीसदी।
समय का सही उपयोग करें-
सभी सरकारी व निजी स्कूलों को निर्देश दिए गए है कि बोर्ड परीक्षा में बच्चों को हैल्दी माहौल दें। बच्चे समय का सदुपयोग करने के साथ-साथ एक अच्छी योजना बनाएं। इस योजना में केवल पढ़ाई नहीं, बल्कि आराम और विश्राम के लिए भी समय निर्धारित करें। परीक्षाओं को बोझ न बनाएं, पूरी नींद लें, संतुलित आहार लें और नियमित रूप से व्यायाम करें। अच्छे शारीरिक स्वास्थ्य से मानसिक स्थिति भी बेहतर रहती है, जिससे परीक्षा के दौरान अधिक ऊर्जा और ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।
हेमराज पारेता, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक, झालावाड़।