उत्पादन में भारी, खरीद केन्द्र में जीरो
जिले में गत छह वर्ष में एक भी वर्ष गेहूं का रकबा 50 हजार हेक्टेयर से कम नहीं रहा है। कृषि विभाग के अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018-019 में 51378 हेक्टेयर, 2019-20 में 68011 हेक्टेयर, 2020-021 में 60655 हेक्टेयर, 2021-022 में 45158 हेक्टेयर, 2022-23 में 50074 हेक्टेयर एवं वर्ष 2024 में 61628 हेक्टेयर रकबा रहा है। उत्पादन बेहतर होने के बाद भी किसान का खरीद केन्द्र पर नहीं पहुंचने से स्थिति साफ है कि सरकार की समर्थन मूल्य दर से किसान नाखुश हैं।गेहूं को नहीं पहचानने वाले मूल्य निर्धारित कर रहे
कृषि उपज मण्डी में काश्तकारों का कहना था कि गेहूं की क्वालिटी को नहीं पहचानने वाले उसका मूल्य निर्धारण कर रहे हैं। सरकार गेहूं खरीदना ही नहीं चाहती है। यह तो खानापूर्ति के के लिए केन्द्र खोल दिए । वास्तव में सरकार गंभीर होती तो समर्थन मूल्य और बाजार मुल्य में इतना अंतर नहीं होता।10 अप्रेल से होगी समर्थन मूल्य पर सरसों-चना की खरीद, जानें दरें और कहां-कहां बनेंगे Center
किसान बोले- घाटा उठाकर क्यों बेचेंगे
किसान सुरेश ने कहा कि किसान खेतों में हाड़तोड़ मेहनत करता है, और उसे लागत के साथ ही अपनी मेहनत का फल भी चाहिए। बाजार में अच्छे भाव मिल रहे हैं, लेकिन खरीद केन्द्र में प्रति क्विंटल एक हजार से ज्यादा का घाटा उठाना पड़ेगा। वहीं, किसान सहदेव ने कहा कि समर्थन मूल्य दर 2425 है, और बाजार में अच्छा गेहूं प्रति क्विंटल 4 हजार रुपए में तुरंत बिक जा रहा है। फिर समर्थन मूल्य केन्द्र पर किसान क्यों जाएगा। दर निर्धारण करने वाले कृषि व किसानों को समझते ही नहीं हैं।इनका कहना है
पहली बार नागौर जिले में गेहूं का समर्थन मूल्य केन्द्र खुला है। फिलहाल फसलों की कटाई चल रही है, समर्थन मूल्य दर से बाजार भाव बेहतर होने के कारण भी किसान नहीं आ रहे हैं। विभाग किसानों को केन्द्र पर लाने का प्रयास कर रहा है।-पवन कुमार खटनावालिया, किस्म निरीक्षक, भारतीय खाद्य निगम, नागौर।