scriptनदियों पर बने पुल, फिर भी बसों को तरस रही दो दर्जन गांवों की जनता | Patrika News
नरसिंहपुर

नदियों पर बने पुल, फिर भी बसों को तरस रही दो दर्जन गांवों की जनता

नरसिंहपुर से देवाकछार, उमरिया, समनापुर होकर केरपानी, सरसला से जबलपुर-भोपाल हाइवे क्रमांक 45 से रोड जुड़ा है। जिस पर ग्रामीणों के निजी वाहनों की आवाजाही ही अधिक दिखती है। आमवर्ग को आवागमन के लिए सिर्फ एक बस सुबह-शाम रहती है वह भी कई बार बंद हो जाती है। जिससे रोड पर चलने वाले करीब आधा दर्जन ऑटो ही ग्रामीणों को गांव से नरसिंहपुर या हाइवे तक जाने का सहारा होते हैं। ग्रामीण कहते हैं कि पहले नर्मदा पर पुल नहीं था तो सोचते थे कि शायद इस वजह से हमारी रोड पर यात्री वाहन नहीं चल रहे हैं।

नरसिंहपुरMar 07, 2025 / 06:13 pm

brajesh tiwari

निजी वाहन या ऑटो के सहारे आवागमन, मनमाना किया चुकाने मजबूर लोग
नरसिंहपुर. गांव से नरसिंहपुर जाना है तो या सुबह बस मिलेगी या फिर ऑटो से जाना पड़ेगा, यह भी नहीं मिला तो फिर पैदल जाना ही विकल्प है। जिनके पास अपने वाहन हैं वह तो आसानी से आते-जाते रहते हैं, परेशानी तो सिर्फ आमवर्ग की है। यह पीड़ा जिला मुख्यालय से लगे नरसिंहपुर-उमरिया-केरपानी रोड से जुड़े दो दर्जन से अधिक गांवों के लोगों की है जिनकी आंखे दशकों से यह सपना देख रहीं है कि इस रोड पर यात्री वाहनों की आवाजाही बढ़ेगी, लेकिन कई बुजुर्गों की आंखे पथरा गईं, बच्चे युवावस्था को पा गए, लेकिन हर आंख का सपना सिर्फ सपना ही बना है। जिससे यहां नर्मदा और अन्य नदियों पर बड़े पुल, अच्छी रोड बनने के बाद भी गांवों और शहर के बीच की दूरी का अंतर नहीं मिट पा रहा है। नरसिंहपुर से देवाकछार, उमरिया, समनापुर होकर केरपानी, सरसला से जबलपुर-भोपाल हाइवे क्रमांक 45 से रोड जुड़ा है। जिस पर ग्रामीणों के निजी वाहनों की आवाजाही ही अधिक दिखती है। आमवर्ग को आवागमन के लिए सिर्फ एक बस सुबह-शाम रहती है वह भी कई बार बंद हो जाती है। जिससे रोड पर चलने वाले करीब आधा दर्जन ऑटो ही ग्रामीणों को गांव से नरसिंहपुर या हाइवे तक जाने का सहारा होते हैं। ग्रामीण कहते हैं कि पहले नर्मदा पर पुल नहीं था तो सोचते थे कि शायद इस वजह से हमारी रोड पर यात्री वाहन नहीं चल रहे हैं। लेकिन पुल बनने कई साल हो गए, रोड भी अच्छी है फिर भी यहां से यात्री बसें नहीं चलतीं। शासन-प्रशासन ने भी कभी यह नहीं सोचा कि यहां से आवागमन के साधन बढ़ाए जाएं।
बसों की सुविधा मिले तो हर वर्ग को हो लाभ
रोड से लगे ग्राम केरपानी, उमरिया, समनापुर, महगंवा, सगौनी, इमलिया, नयाखेड़ा, देवाकछार, रामपिपरिया, नंदवारा, कुम्हड़ी, सरसला, रमखिरिया आदि दो दर्जन गांवों का नरसिंहपुर से सीधा जुड़ाव है। ग्रामीण कहते हैं कि ग्रामीण बाजारों में दुकानें तो काफी है लेकिन ग्राहकी सीमित है। रोड से बसों की आवाजाही बढ़ेगी तो हमारे बाजार भी बढ़ेंगे और हर वर्ग को लाभ मिलेगा।
बड़ी संख्या में विद्यार्थी करते हैं आवागमन
क्षेत्र से बड़ी संख्या में विद्यार्थी स्कूल-कॉलेज जाते हैं, जिनके अपने वाहन वह उनसे आवागमन करते हैं और जो वाहन विहीन हैं उन्हें ऑटो में किराया देकर जोखिम उठाकर आना जाना करना पड़ता है। उमरिया की साक्षी ने बताया कि बसें न चलने से स्कूल-कॉलेज जाना मुश्किल होता है। ऑटो वाले 15 से 20 रुपए तक किराया लेते हैं। समय तय नहीं रहता कि कब मिलेगा।

&रोड पर यात्री बसों की आवाजाही बढ़ाने बस संचालकों को प्रेरित करेंगे। इस रूट पर पहले कुछ परमिट थे लेकिन बाद में बसें बंद हो गई। यहां मिनी बस चल सकती हैं। जैसे ही कोई आवेदन करेगा तो उसे स्वीकृत करेंगे।
जितेंद्र शर्मा, जिला परिवहन अधिकारी नरसिंहपुर
&एक ही बस चलती है जो सुबह 10 बजे नरसिंहपुर जाती है और शाम को लौटकर समनापुर जाती है। हर दिन करीब 200 लोग उमरिया से नरसिंहपुर जाते हैं। यात्री बसें न चलने से हर वर्ग परेशान रहता है।
देवेंद्र नेमा, व्यापारी उमरिया
&बसों की आवाजाही होगी तो व्यापार भी बढ़ेगा, बच्चों को भी राहत मिलेगी। अभी तो जैसे-तैसे बच्चे स्कूल-कॉलेज आते-जाते हैं। ऑटो का कोई ठिकाना नहीं रहता कि कब मिलेगा और कब नहीं, समस्या है।
गौतम वर्मा, व्यापारी उमरिया
&बसें न चलने से बड़ी समस्या है, हमारी छोटी सी दुकान है, यहां लोग वाहनों का इंतजार करते रहते हैं। हमको ही यदि बच्चों के साथ जाना होता है तो बड़ी मुश्किल होती है। बसें चलेंगी तो राहत मिलेगी।
मोहिनीबाई, उमरिया
&बसें तो यहां चलती ही नहीं है, नरङ्क्षसहपुर जाना हो या राजमार्ग परेशानी होती ही है। कई सालों से यह समस्या है। नर्मदा पर पुल बन गया। सीधी नरङ्क्षसहपुर बस चलना चाहिए।
कृष्णकुमार बैरागी,
ग्रामीण केरपानी
&बसों की कमी से ग्राहकी कम रहती है। हमें भी यदि फल लेने जाना पड़ता है तो निजी वाहन से जाना होता है क्योंकि दूसरा कोई साधन नहीं रहता। गांव का बाजार तो अच्छा है लेकिन वाहन नहीं चलते।
दीपक मलाह, केरपानी
&ज्यादातर लोग निजी वाहनों से आते-जाते हैं इसमें आने-जाने का खर्च अधिक आता है। बसों की आवाजाही शुरू हो जाए तो ग्रामीण बाजार भी बढ़ जाएगा। ग्रामीण आबादी को लाभ मिलना चाहिए।
प्रमोद अग्रवाल, व्यापारी केरपानी
&केरपानी में रिश्तेदारी होने केरपानी आए है। बसें तो चलती नहीं है इसलिए घर से ही किसी के साथ वाहन से आते हैं। जब वाहन नहीं रहता तो पैदल आना पड़ता है। बड़ी विसंगति है कि रोड पर बसें नहीं है।
डोरीलाल यादव, आमगांवबड़ा
&बसें न चलने से बच्चों की पढ़ाई आगे करा पाना मुश्किल होता है। ऑटो से आना-जाना मुश्किल और महंगा होता है। डर भी रहता है क्योंकि ऑटो वाले अधिक सवारी बिठाते हैं, शासन सुविधा दिलाए
त्रिलोक ङ्क्षसह, ग्रामीण केरपानी
&हमारा तो बुढ़ापा आ गया, 80 साल के हो गए लेकिन बसों की सुविधा नहीं मिल सकी है। बाजार करने पैदल केरपानी आना पड़ता है, हमारी पीड़ा कोई समझने-सुनने वाला नहीं है जो राहत दिलाए।
श्यामलाल पटेल, समनापुर
&गांव के लोगों को शहर जाना दशकों से आज भी मुश्किल बना है। आवागमन के साधन बढ़ेंगे तो मजदूर, व्यापारी, विद्यार्थी हर वर्ग को लाभ मिलेगा। अभी तो निजी वाहनों के भरोसे ही आना-जाना होता है।
राजेंद्र अग्रवाल, व्यापारी केरपानी

Hindi News / Narsinghpur / नदियों पर बने पुल, फिर भी बसों को तरस रही दो दर्जन गांवों की जनता

ट्रेंडिंग वीडियो