मूंग की फसल में 5 से 8 बार विभिन्न प्रकार की जहरीली दवाओं का उपयोग होने से विशेषज्ञ इसे पशुओं, मानव तथा वातावरण के लिए भी नुकसानदायक मानने लगे हैं। ङ्क्षचता जाहिर कर रहे हैं कि मूंग की फसल का रकबा जिले में इसी तरह बढ़ता रहा तो आने वाले समय में भूजल स्तर भी तेजी से प्रभावित होगा, खेतों में नमी नहीं रहेगी और दूसरी फसलों पर इसका असर हो सकता है। मिटी में जहर मिलने से घास और खरपतरवार भी जहरीली हो रही है। इससे पशु भी प्रभावित हो रहे हैं।
जिले में हर वर्ष बढ़ रहा रकबा
जिले में बीते वर्ष गर्मी के मौसम में मूंग का रकबा करीब सवा लाख हेक्टेयर में था। इस बार भी रकबा 1 लाख 20 हजार हैक्टेयर के करीब होने का अनुमान है, क्योंकि मूंग की बोवनी शुरू हो गई है और 7475 हैक्टेयर में अब तक बोवनी हो चुकी है। मूंग में कीटनाशकों के बढ़ते उपयोग से जिस तरह उच्च स्तर से शासन ङ्क्षचता जाहिर कर रहा है और विशेषज्ञों की राय ली जा रही है उसका असर इस बार मूंग की खरीद पर भी नजर आ सकता है।
&गर्मी की मूंग में रासायनिक खादों, कीटनाशकों का अधिक उपयोग ङ्क्षचताजनक है। यह सही है कि विशेषज्ञों से शासन स्तर पर रिपोर्ट ली जा रही है। मुख्यत: ङ्क्षचताजनक कारण इससे होने वाले नुकसान हैं। आगामी समय में पानी का संकट बनेगा, खेती प्रभावित हो सकती है।
डॉ. एसआर शर्मा, कृषि वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र नरसिंहपुर
&जो किसान मूंग लगा रहे हैं उन्हें निरंतर सलाह दे रहे हैं कि वह अधिक कीटनाशकों का उपयोग न करें, क्योंकि यह सभी के हित में है। विभाग ने मूंग के संबंध में शासन को जानकारी तो भेजी है।
उमेश कटहरे,
उपसंचालक कृषि नरसिंहपुर