जिले के प्रमुख अर्थशास्त्री डा रामकुमार चौकसे कहते हैं कि गन्ने के सहउत्पाद के रूप में पत्तियों से सीबीजी बनाने की पहल अच्छी है। जब किसानों को इसका मूल्य प्राप्त होगा तो उनक ी आमदनी में वृद्धि होगी। इस क्षेत्र में नए स्टार्टअप आने से इससे ईको फ्रेंडली डिस्पोजल इकाईयों की स्थापना की राह भी खुलेगी। जो जिले की अर्थ व्यवस्था को गति देेनें में सहायक बनेंगे।
पर्यावरण को होगा लाभ
गन्ने की पत्तियों से सीबीजी बनाने से होने वाले पर्यावरणीय फायदों को लेकर कृषि वैज्ञानिक डा आशुतोष शर्मा का कहना है कि पत्तियां जलाने से खेत की मिटटी की सतह काफी गर्म हो जाती है। इससे वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ता है। जिससे वातावरण और मृदा स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि फ सल अवशेष जलाने से खेत में लाभकारी सूक्ष्मजीव और केंचुए नष्ट हो जाते हैं, जिससे मृदा की उर्वरता कम होती है। यदि गन्ने की पूरे जिले में इस प्रक्रिया को अपनाया जाता है तो जिले भर के खेतों की मिटटी का स्वास्थ्य सुधर जाएगा। इससे मिटटी का क्षरण भी रुकेगा और मिटटी में पानी को संरक्षित करने की क्षमता
भी बढ़ेगी।
डॉ. अभिषेक दुबे सहायक संचालक गन्ना