पत्र में क्या?
राहुल गांधी ने अपने पत्र में कहा कि इन गंभीर राष्ट्रीय मुद्दों पर संसद में चर्चा जरूरी है ताकि देश की जनता और उनके प्रतिनिधियों को स्थिति की पूरी जानकारी मिल सके। उन्होंने लिखा, “पहलगाम आतंकी हमला, ऑपरेशन सिंदूर, और सीजफायर पर चर्चा करना लोगों के लिए बहुत जरूरी है। यह हमारी एकजुटता और सामूहिक संकल्प को प्रदर्शित करने का अवसर होगा।”
सत्र की मांग
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी अपने पत्र में इस मांग को दोहराया। उन्होंने लिखा, “28 अप्रैल 2025 को विपक्ष के नेताओं ने पहलगाम हमले के मद्देनजर विशेष सत्र की मांग की थी। अब ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर की घोषणा के बाद यह मांग और प्रासंगिक हो गई है।” खरगे ने यह भी उल्लेख किया कि सीजफायर की घोषणा सबसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की थी, जिस पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं।
खरगे ने की सरकार से मांग
कांग्रेस और विपक्षी दलों का कहना है कि विशेष सत्र से राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमा पर स्थिति को लेकर एक सकारात्मक संदेश जाएगा। खरगे ने कहा, “हम चाहते हैं कि सरकार इस मांग पर गंभीरता से विचार करे और जल्द से जल्द सत्र बुलाए।” ऑपरेशन सिंदूर, जो 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में 28 नागरिकों की हत्या के जवाब में शुरू किया गया था, के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर हमले किए। इस ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकियों के मारे जाने की खबर है।
अनुपस्थित रहे मोदी
सर्वदलीय बैठक में भी विपक्ष ने सरकार को पूर्ण समर्थन दिया था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की अनुपस्थिति पर खरगे ने नाराजगी जताई थी। अब विपक्ष की यह मांग संसद के विशेष सत्र के जरिए इन मुद्दों पर व्यापक चर्चा की उम्मीद को दर्शाती है। कांग्रेस ने यह भी घोषणा की है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पार्टी ने अपने सभी राजनीतिक कार्यक्रमों को कुछ दिनों के लिए स्थगित कर दिया है, ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा सके।