पाकिस्तान ने जिस तरह से पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करने वाले यूएनएससी के बयान में टीआरएफ के नाम का उल्लेख करने से रोका, वही अपने आप में पाक का पेटर्न बताता है कि वह आतंकी संगठनों को संरक्षण और बढ़ावा दे रहा है। टीआरएफ लश्कर पर प्रतिबंध के कारण जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद उभरा है जो हत्याओं, आतंकियों की भर्ती और हथियारों की तस्करी में शामिल है। टीआरएफ कश्मीर में कई हमलों में शामिल रहा है।
आतंकियों पर रोक लगाती है दाएश समिति
यूएनएससी ने 1999 में प्रस्ताव पारित कर यह समिति बनाई थी जो आतंकी संगठनों की गतिविधियों को रोकने और उन पर प्रतिबंध पर अमल की देखरेख करता है। इस समिति को दाएश और अलकायदा प्रतिबंध समिति के नाम से भी जाना जाता है।
एलओसी पर 40 पाक सैनिक मारे
ले. जन घई ने बताया कि 9 और 10 मई की रात फिर पाकिस्तान ने ड्रोन से हमले किए, इस बार वायुसेना को टारगेट किया गया। पाकिस्तान एलओसी पर लगातार गोलाबारी करता रहा। इसका भारत ने कड़ा जवाब दिया। आर्टिलरी और छोटे हथियारों से दिए जवाब में 7 से 10 मई तक 35 से 40 पाक सैनिक मारे गए।
कराची पर हमले के लिए तैयार थी नौसेना
वाइस एडमिरल एएन प्रमोद ने बताया कि नौसेना के कैरियर बैटल ग्रुप को पहलगाम हमले के 96 घंटे के भीतर पूरी सैन्य तैयारी से अरब सागर में तैनात किया गया। यहां विभिन्न हथियारों परीक्षण किए। कराची में अपनी पसंद के अनुसार समुद्र और जमीन पर हमले करने के लिए भारतीय नौसेना तैयार थी। उसने पाकिस्तानी नौसेना और वायुसेना यूनिट्स को तटों के पास ही हार्बर पर रक्षात्मक मुद्रा में रुके रहने पर मजबूर कर दिया। पाकिस्तानी यूनिट्स की सभी मूवमेंट पर नजर रखी गई। वायुसेना और थल सेना में भरपूर समन्वय रहा।