scriptकारीगरों-परंपराओं को सशक्त कर रहे विदेशी ब्रांड | प्रतिस्पर्धा से बाजार में अधिक विकल्प और विविधता आती है, जिससे उपभोक्ताओं को लाभ होता है और स्थानीय स्तर पर रोजगार की संभावनाएं बढ़ती हैं। | Patrika News
समाचार

कारीगरों-परंपराओं को सशक्त कर रहे विदेशी ब्रांड

प्रतिस्पर्धा से बाजार में अधिक विकल्प और विविधता आती है, जिससे उपभोक्ताओं को लाभ होता है और स्थानीय स्तर पर रोजगार की संभावनाएं बढ़ती हैं।

जयपुरDec 10, 2024 / 10:43 pm

Jagmohan Sharma

गेस्ट राइटर
क्लोडिया कोज्मा कैपलान, ग्लोबल हेड ऑफ ब्रांड, रैफल्स होटल्स एंड रिसॉर्ट्स

विदेशी ब्रांड भारत में तेजी से प्रवेश कर रहे हैं और इसका सामाजिक-आर्थिक प्रभाव गहरा है। आज भारत न केवल वैश्विक पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स भी यहां अपने पैर जमाने की कोशिश कर रहे हैं। भारत के बाजार में ऐसे कई विदेशी ब्रांड हैं जो रोजगार के नए अवसर और आर्थिक समृद्धि ला रहे हैं। इस तरह का विस्तार, रोजगार और विकास के नए दरवाजे खोलता है। हालांकि, विदेशी ब्रांड तभी सफल हो सकते हैं जब वे स्थानीय बाजार में कुछ अलग और नया करें। इसमें चाहें तो बेहतर सर्विस दें, विशेष उत्पाद बनाएं या फिर अलग नजरिया विकसित करें।
भारतीय श्रमिकों और कारीगरों के लिए भी यहां अवसरों की कोई कमी नहीं है। प्रतिस्पर्धा से बाजार में अधिक विकल्प और विविधता आती है, जिससे उपभोक्ताओं को लाभ होता है और स्थानीय स्तर पर रोजगार की संभावनाएं बढ़ती हैं। उदाहरण के लिए, हमने जयपुर में स्थानीय कारीगरों के योगदान से पारंपरिक तकनीकों का निर्माण किया है। यह दिखाता है कि कैसे अंतरराष्ट्रीय ब्रांड स्थानीय कला और कौशल को बढ़ावा दे सकते हैं, उनकी पहचान को संरक्षित रख सकते हैं। उदयपुर में हमारे यहां मेहमानों को पारंपरिक राजस्थानी खाना पकाना सिखाया जाता है तो जयपुर में पर्यटकों को स्थानीय कारीगरों से यहां की ब्लॉक प्रिंटिंग का इतिहास जानने का अवसर भी मुहैया करवाया जाता है।
यह सांस्कृतिक धरोहर को न केवल संजोने, बल्कि उसे अधिक से अधिक लोगों के सामने प्रस्तुत करने का एक सशक्त माध्यम भी बन रहा है। विदेशी ब्रांडों के भारत में आने से एक नई प्रतिस्पर्धा का जन्म हुआ है, जिससे ग्राहकों के पास अधिक विकल्प मौजूद हैं। चुनौतियां भी हैं, जैसे स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों के बीच तालमेल बनाना और भारतीय संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करते हुए अपनी सेवाएं देना। अच्छी बात यह है कि ज्यादातर ब्रांड्स स्थानीय समुदायों के साथ जुड़कर काम करते हैं और उन्हें सशक्त बनाते हैं, तो यह बदलाव हमेशा सकारात्मक साबित होता है।

Hindi News / News Bulletin / कारीगरों-परंपराओं को सशक्त कर रहे विदेशी ब्रांड

ट्रेंडिंग वीडियो