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हैरानी: अंतिम संस्कार से ज्यादा खर्चा तो शव को घर तक लाने में कर रहे परिजन?

-जिला अस्पताल में शव वाहन की नहीं पुख्ता व्यवस्था, निजी शव वाहन काट रहे मौज
-अस्पताल प्रबंधन इस मसले पर नहीं गंभीर, अब तक नहीं की नए शव वाहन की मांग
-पत्रिका स्टिंग

दमोहFeb 19, 2025 / 08:18 pm

आकाश तिवारी


दमोह. जिला अस्पताल में दम तोडऩे वाले लोगों के शवों को घर तक ले जाने में परिजनों को जेब ढीली करनी पड़ रही है। यहां रेडक्रास सोसायटी का एकमात्र शव वाहन है, जो जर्जर हालत में है। इसका फायदा निजी शव वाहन संचालक उठाने में जुटे हैं। किराया कितना लेना है, यह राशि निश्चित नहीं है। टैक्सी के हिसाब से किराया वसूला जा रहा है। यदि हम यह कहें कि अंतिम संस्कार के खर्च से ज्यादा शवों को घर पहुंचाने में पीडि़त परिजन हो रहा है तो यह बात अतिश्योक्ति नहीं है। जानकार हैरानी होगी कि यह अव्यवस्था लंबे समय से है, पर अस्पताल प्रबंधन ने अब तक कलेक्टर से शव वाहन की मांग नहीं की है। पत्रिका ने अपने स्टिंग के जरिए एक निजी शव वाहन संचालक से किराय के संबंध में बात की।
-शर्मसार करने वाले आ चुके कई मामले
जिला अस्पताल में देखा जाए तो प्रतिदिन औसतन ८ से १० शवों को मर्चुरी में शिफ्ट किया जाता है। इनमें कई बीमारी से तो कुछ हादसों में मरने वाले के शव होते हैं। ज्यादा कैज्युअल्टी होने पर शव वाहन नहीं मिल पाते हैं। हाथ ठेले और बाइक पर शवों को ले जाने जैसी शर्मशार करने वाली घटनाएं पूर्व में सामने आ चुकी हैं।
-नहीं डीप फ्रीजर युक्त शव वाहन
कहने को तो जिला अस्पताल में दो शव वाहन हैं, लेकिन दोनों जननी वाहन हैं, जिन्हें शव वाहन के रूप में उपयोग किया जाता है। गर्मी में शवों को सुरक्षति रखने वाला एक भी शव वाहन नहीं है। डीप फ्रीजर युक्त शव वाहन की मांग तक प्रबंधन ने नहीं की है।
-पत्रिका और निजी शव वाहन संचालक से बातचीत
रिपोर्टर: भैया, शव वाहन मिल जाएगा?
चालक: हां, कहां जाना है?
रिपोर्टर: मडिय़ादो तक शव ले जाना है।
चालक: डीजल भरवा सकते हो?
रिपोर्टर: क्यों? क्या इसकी व्यवस्था आप करा सकते हो?
चालक: हां?, रेडक्रास से पर्ची बनवानी पड़ेगी?
रिपोर्टर: नहीं, आप अपने हिसाब से बताओ कितना डीजल लगेगा?
चालक: मडिय़ादो ८०-९० किमी दूर है। दो हजार तक का डीजल भरवाना पड़ेगा?
रिपोर्टर: कुछ कम नहीं कर सकते?
चालक: सरकारी वाली देख लो। हम इसमें आपसे कुछ नहीं ले रहे।
चालक: एक और यही काम करते हैं। उनसे बात कर लो।
रिपोर्टर: अस्पताल में क्या दो-दो निजी शव वाहन ले जाते हैं?
चालक: हां, उनका रेट मनमाना है।
यह है नियम
-हर वार्ड में शव वाहन के चालक का नंबर लिखा जाए।
-शव वाहन की मुफ्त व्यवस्था।
-वाहन उपलब्ध न होने पर अन्य माध्यमों से शवों को घर पहुंचाया जाए।
वर्शन
हमारे पास दो शव वाहन है। एक लंबी दूरी तक जाता है। दोनों काफी पुराने हो चुके हैं। नए की मांग के लिए पत्र लिखते हैं। विधायक निधि से भी शव वाहन की मांग की जा रही है।
वीरेंद्र असाटी, शव वाहन प्रभारी

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