किसानों के अनुसार 670 क्यूसेक पानी पाकिस्तान जा रहा है। लेकिन सिंचाई विभाग के अधिकारी इस बात को मानने को तैयार नहीं है। इस बात को लेकर किसान नेता व मुख्य अभियंता के बीच दूरभाष के जरिए हुए बातचीत के दौरान जमकर बहस भी हुई। किसानों का आरोप है कि भाखड़ा नहर, इंदिरा गांधी नहर व गंगनहर में पानी देने की बजाए पाकिस्तान को पानी दिया जा रहा है। भाखड़ा नहर का शेयर खत्म होने की बात अधिकारी कर रहे हैं। गेहूं की फसल पकने को तैयार है। अंतिम चरण के लिए सिंचाई पानी की अतिआवश्यकता है। किसानों ने चेतावनी दी कि यदि भाखड़ा नहर में 1250 क्यूसेक पानी नहीं चलाया गया तो आंदोलन तेज किया जाएगा।
गत 20 जनवरी जिला कलक्ट्रेट के समक्ष सोमवार को किसानों की महापंचायत हुई थी। महापंचायत में किसान संगठनों ने 1250 क्यूसेक सिंचाई पानी देनी की मांग की थी। इस संबंध में जिला कलक्टर की मौजूदगी में सिंचाई विभाग के अधिकारी व किसान नेताओं की पांच घंटे वार्ता चली थी। वार्ता में 4 मार्च से 20 मार्च तक 1200 क्यूसेक पानी देने पर समझौता हुआ था। चार मार्च से पूर्व 850 क्यूसेक पानी देने पर सहमति हुई थी। जबकि किसान संगठनों ने एक फरवरी से 20 मार्च तक 1250 क्यूसेक पानी की मांग की थी। किसानों की माने तो 1990 में भाखड़ा नहर में 1800 क्यूसेक पानी चलता था। उसके बाद यह मात्रा घटकर 1600 क्यूसेक हो गई। इसके बाद 1250 और अब घटाकर 850 क्यूसेक पानी चलाया जा रहा था। अब उससे भी कम कर दिया है।