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भिलाई नगर निगम में सफाई अभियान के अंतर्गत वर्ष 2018 में एक कंपनी कैंपस पॉली प्लास्टिक को डस्टबिन सप्लाई का टेंडर सूडा के माध्यम से दिया गया था। डस्टबिन की क्वालिटी में गड़बड़ी पाए जाने पर उसका 10 प्रतिशत भुगतान रोक दिया गया था, जो 40 लाख से अधिक था। कंपनी ने भुगतान के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
प्रकरण की सुनवाई के दौरान निगम आयुक्त राजीव कुमार पांडे कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुए तो
कोर्ट ने उनके द्वारा नोटिस का जवाब न देने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि आपके कारण केस यहां रुका हुआ है। फिर ड्रेस पर सवाल उठाया कि जैसी मर्जी हुई चले आए, कोर्ट के ड्रेस कोड का पालन क्यों नहीं किया? कोर्ट पूछा प्रमोटी हैं क्या, इस पर निगम आयुक्त ने कहा- राज्य प्रशासनिक सेवा के माध्यम से चयनित हुए हैं। उल्लेखनीय है कि कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने वाले अधिकारियों को शालीन ड्रेस (पेंट-शर्ट, ऊपर तक बटन लगे, कोट टाई) में आने के निर्देश हैं।
मामले को मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाने के निर्देश सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि यह भुगतान का मामला है, जिसे आर्बिटेशन (मध्यस्थता) के माध्यम से सुलझाने की जरूरत है। जबकि कंपनी ने सीधे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। निगम के वकील का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए प्रकरण को मध्यस्थता से ही निराकृत करने के निर्देश दिए।