scriptटोल टैक्स वसूली के नियमों में उलझा आमजन | Common people are confused in the rules of toll tax collection | Patrika News
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टोल टैक्स वसूली के नियमों में उलझा आमजन

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार टिप्पणी की थी कि अगर सड़कें खराब हैं तो इस पर सफर करने वाले टोल टैक्स भी क्यों दें? आम आदमी इसका खामियाजा क्यों भुगते? सरकार को इसकी भरपाई करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी का असर शायद न तब सरकार पर हुआ था और न अब हो रहा […]

जयपुरFeb 19, 2025 / 09:35 am

Sanjeev Mathur

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार टिप्पणी की थी कि अगर सड़कें खराब हैं तो इस पर सफर करने वाले टोल टैक्स भी क्यों दें? आम आदमी इसका खामियाजा क्यों भुगते? सरकार को इसकी भरपाई करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी का असर शायद न तब सरकार पर हुआ था और न अब हो रहा है, क्योंकि खस्ताहाल हाइवे के बावजूद आम जनता टोल टैक्स देने के लिए मजबूर है। टोल टैक्स एक तरह का अप्रत्यक्ष कर है, जो नेशनल और स्टेट हाइवे पर इसलिए लिया जाता है, ताकि सरकार अच्छी सड़कें मुहैया करा सके, लेकिन आए दिन ऐसे समाचार हमें पढऩे को मिलते हैं कि हाइवे जर्जर है, फिर भी टोल टैक्स की वसूली निरंतर जारी है। टोल टैक्स के मकडज़ाल से आम आदमी निकल भी पाएगा या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है, क्योंकि टोल टैक्स घटने के बजाय साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है। दूसरा, टोल टैक्स प्लाजा की अव्यवस्थाओं से वाहन चालकों को रोजाना जूझना पड़ रहा है। फास्टैग में एडवांस पैसे देने के बावजूद अधिकांश वाहन चालक हाइवे पर चलते समय स्वयं को ठगा हुआ महसूस करते हैं।
एक छोटा सा उदाहरण राजस्थान के मनोहरपुर टोल प्लाजा का ले लीजिए। सितंबर 2024 में सूचना के अधिकार (आरटीआइ) से पता चला था कि 1900 करोड़ में बने हाइवे के 8000 करोड़ रुपए टोल टैक्स के रूप में वसूले जा चुके हैं। अब आप ही बताइए 1900 करोड़ की सड़क के 8000 करोड़ किस हिसाब से वसूल लिए गए। शायद आम आदमी सरकार के इस गणित को समझ न पाए। देश में अभी करीब 980 टोल प्लाजा नेशनल हाइवे पर चल रहे हैं। वैसे महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक नेशनल हाइवे हैं और इस श्रेणी में राजस्थान तीसरे नंबर पर आता है, लेकिन टोल टैक्स वसूली में राजस्थान सबसे ऊपर है। सबसे अधिक 142 टोल टैक्स प्लाजा राजस्थान में चल रहे हैं। कमाल की बात यह है कि 457 टोल प्लाजा तो पिछले 5 साल में शुरू हुए हैं। इसमें भी राजस्थान जैसा राज्य सबसे ऊपर है। यहां पिछले 5 साल में 58 टोल प्लाजा शुरू हुए हैं। दरअसल, टोल टैक्स प्लाजा का मकसद सड़क निर्माण और रख-रखाव से जुड़ा हुआ है। यदि हाइवे को बेहतर क्वालिटी में बनाए रखना है तो वाहन चालकों से टोल टैक्स वसूला जाता है, ताकि बेहतर और सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित की जा सके। इसमें कोई हर्ज भी नहीं है, बशर्ते हाइवे उस क्वालिटी का हो। परंतु, स्थिति यह है कि हाइवे पर टोल टैक्स प्लाजा जैसे-जैसे बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे व्यवस्थाओं की पोल भी खुल रही है। जब वाहनों की संख्या टोल टैक्स प्लाजा पर बढऩे लगी तो सरकार फास्टैग को लेकर आई, यानी टोल टैक्स प्लाजा पर गाड़ी बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के सीधा निकल जाएगी, वाहन चालक के खाते से टोल टैक्स कट जाएगा, लेकिन फास्टैग भी पूरी तरह कारगर साबित नहीं हो रहा है।
टोल टैक्स प्लाजा से गुजरना वाहन चालकों के लिए किसी पीड़ा से कम नहीं है। अधिकांश टोल टैक्स प्लाजा पर आधी लेन अक्सर बंद रहती हैं। फास्टैग के बावजूद टोल कर्मी वाहन को आगे-पीछे कराता है और बटन दबाकर वाहन को पास कराता है। यदि किसी वाहन का फास्टैग सही से काम नहीं कर रहा तो पीछे खड़े वाहन चालक परेशान होते हैं। इस व्यवस्था को दुरुस्त नहीं किया जा रहा। यदि एक वाहन के फास्टैग में कोई परेशानी है तो एडवांस पेमेंट कर चुके अन्य वाहन क्यों भुगतें? अब सरकार के नए फास्टैग नियमों के तहत कम बैलेंस, देरी से भुगतान या ब्लैक लिस्टेड टैग वाले यूजर पर अतिरिक्त जुर्माना लग रहा है। यदि वाहन टोल पार करने से पहले 60 मिनट से अधिक समय तक फास्टैग निष्क्रिय रहता है और वाहन के टोल पार करने के 10 मिनट बाद तक निष्क्रिय रहता है तो लेन-देन अस्वीकार कर दिया जाएगा। सिस्टम ऐसे भुगतानों को अस्वीकार कर देगा। नए दिशा-निर्देशों के अनुसार यदि वाहन के टोल रीडर से गुजरने के समय से 15 मिनट से अधिक समय के बाद टोल लेन-देन अपडेट होता है तो फास्टैग यूजर को अतिरिक्त शुल्क देना पड़ सकता है, यानी सारा भार टैक्स पेयर पर है। वैसे, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के नियम के मुताबिक अगर कोई गाड़ी 10 सेकंड से अधिक तक टोल टैक्स की कतार में फंसी रहती है तो उसे टोल टैक्स का भुगतान किए बिना जाने दिया जाना चाहिए, लेकिन ऐसे कितने उदाहरण हैं कि जब ऐसे नियम के तहत किसी गाड़ी से टोल टैक्स न वसूला गया हो?
पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि अब फास्टैग से आगे बढ़कर सरकार ग्लोबल नेवीगेशन सैटेलाइट सिस्टम तकनीक से टोल टैक्स वसूली का प्लान बना रही है। इस सिस्टम की मदद से टोल रोड पर वाहनों की आवाजाही को ट्रैक किया जाता है और हाइवे पर यात्रा की दूरी के आधार पर टोल टैक्स कट जाता है, लेकिन यह सिस्टम पूर्ण रूप से कब लागू होगा, इससे जनता को क्या वाकई राहत मिलेगी, यह अभी स्पष्ट नहीं है। सरकार ने पिछले कुछ सालों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर भारी भरकम निवेश किया है। नए-नए हाइवे बनाए जा रहे हैं। एक्सप्रेस-वे बनाए जा रहे हैं। देश की प्रगति के लिए यह एक सुखद चीज है, लेकिन टोल टैक्स के बहाने जनता की जेब से पैसा निकालना कहां तक उचित है? अप्रत्यक्ष रूप से वसूले जा रहे इस टैक्स को लेकर सरकार को पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। सरकार को कुछ नियम या नियमों के अनुपालना टोल प्लाजा के लिए भी सुनिश्चित करनी चाहिए, जिससे टोल टैक्स देने वालों को परेशानी न हो तथा वे स्वयं को ठगा सा महसूस ना करें। जैसा हाइवे-वैसा टोल टैक्स लेने और एक समय के बाद टोल टैक्स से राहत देना समय की मांग है।
  • विजय गर्ग, आर्थिक विशेषज्ञ, भारतीय एवं विदेशी कर प्रणाली के जानकार

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