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Opinion : युवा आबादी के कौशल विकास पर देना होगा ध्यान

इसमें कोई संदेह नहीं कि प्राचीन भारत, कौशल व विज्ञान के कई क्षेत्रों में समूचे विश्व की अगुवाई कर रहा था। लेकिन यह भी सत्य है कि बाद के दौर में हमारी तरक्की की रफ्तार इस क्षेत्र में अपेक्षाकृत कमजोर रही है। इस दिशा में इंडियाज ग्रेजुएट स्किल इंडेक्स-2025 की रिपोर्ट चिंतित करने वाली है, […]

जयपुरFeb 19, 2025 / 09:50 pm

ANUJ SHARMA

इसमें कोई संदेह नहीं कि प्राचीन भारत, कौशल व विज्ञान के कई क्षेत्रों में समूचे विश्व की अगुवाई कर रहा था। लेकिन यह भी सत्य है कि बाद के दौर में हमारी तरक्की की रफ्तार इस क्षेत्र में अपेक्षाकृत कमजोर रही है। इस दिशा में इंडियाज ग्रेजुएट स्किल इंडेक्स-2025 की रिपोर्ट चिंतित करने वाली है, जिसमें कहा गया है कि भारतीय स्नातकों को कौशल की कमी के कारण नौकरी नहीं मिल पा रही है। इसकी वजह भी यही है कि विश्वविद्यालय की डिग्री और कौशल के बीच का अंतर लगातार बढ़ता जा रहा है जिससे 57.4 फीसदी स्नातकों को काम नहीं मिल पा रहा। स्नातकों के रोजगार को लेकर यह परिदृश्य इसलिए भी चिंतित करने वाला है क्योंकि हम 2047 तक विकसित भारत का सपना देख रहे हैं। यह वक्त भी पलक झपकते बीत जाएगा। यह स्वाभाविक है कि दुनिया के बदलते परिदृश्य में विकसित भारत का लक्ष्य पाने के लिए हमें सबसे अधिक महत्ता शिक्षित भारत को देनी होगी। युवाओं में स्किल डवलपमेंट सुनिश्चित करना होगा ताकि नियोक्ताओं को जरूरत के अनुरूप युवा शक्ति मिल सके।
अच्छी बात यह है कि वर्तमान में समाज के सभी तबकों के लोग चाहते हैं कि उनके बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त करें। इसके लिए जरूरी है कि प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा के दौरान ही कौशल विकास की दिशा में काम किया जाए। इसके लिए यह भी जरूरी है कि सरकारें, शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के मामले में निजी क्षेत्र पर ही निर्भर नहीं रहे। सरकारों को खुद कमान हाथ में लेनी होगी ताकि बड़ी संख्या में सरकारी स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलना सुनिश्चित हो सके। सभी स्तरों पर तकनीक और विज्ञान की उच्चस्तरीय शिक्षा दिया जाना जरूरी है। वह इसलिए भी क्योंकि आज के डिजिटल दौर में दुनिया विज्ञान एवं तकनीक के मामले में एक नए युग में प्रवेश कर रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ), ऑटोमेशन, डेटा साइंस, कम्युनिकेशन और क्रिटिकल थिंकिंग ने सब कुछ बदल दिया है। माना जा रहा है कि जो देश डिजिटल साइंस और तकनीक में अग्रणी होंगे, वे विश्व पर राज करेंगे। इसी होड़ के चलते अमरीका, चीन, भारत और फ्रांस जैसे देश एआइ जैसे क्षेत्रों में अग्रणी बने रहने के लिए कमर कस चुके हैं।
भारत एआइ के क्षेत्र में बेहतर काम कर रहा है, लेकिन कुछ मामलों में वह अमरीका, यूरोप और चीन से पीछे है। डिजिटल साइंस एवं तकनीक के क्षेत्र में भारत और इन देशों के बीच का अंतर बढ़ रहा है। इसके लिए शोध एवं अनुसंधान की संस्कृति विकसित करनी चाहिए। हमें दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी के कौशल विकास पर ध्यान देना होगा।

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