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Patrika Opinion : बचपन को निकालना होगा मोबाइल की कैद से

बच्चों में खतरनाक स्तर पर पहुंचे स्क्रीन टाइम को लेेकर अब दुनियाभर में सरकारें चिंतित होने लगी हैं। बच्चों में इंटरनेट की लत रोकने के लिए ऑस्ट्रेलिया के बाद अब ग्रीस की सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए नए साल में किड्स वॉलेट ऐप लॉन्च करने का ऐलान किया है। यह एप नाबालिगों के इंटरनेट […]

जयपुरJan 01, 2025 / 10:43 pm

ANUJ SHARMA

बच्चों में खतरनाक स्तर पर पहुंचे स्क्रीन टाइम को लेेकर अब दुनियाभर में सरकारें चिंतित होने लगी हैं। बच्चों में इंटरनेट की लत रोकने के लिए ऑस्ट्रेलिया के बाद अब ग्रीस की सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए नए साल में किड्स वॉलेट ऐप लॉन्च करने का ऐलान किया है। यह एप नाबालिगों के इंटरनेट उपयोग पर नजर रखेगा और माता-पिता को नियंत्रण के सुझाव भी देगा। हाल ही जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक 2 से 5 साल तक के बच्चों का स्क्रीन टाइम बढ़कर 4 घंटे से अधिक हो गया है। यही नहीं 2 साल से कम उम्र के बच्चों तक को फोन थमा दिया जाता है। बच्चों और युवाओं को घंटों स्क्रीन पर नजर टिकाए देखकर लगता है कि हम मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करते, बल्कि मोबाइल ही हमें संचालित करने लगा है। अमरीकन एकेडमी ऑफ चाइल्ड एंड एडोलेसेंट साइकिएट्री के मुताबिक बच्चों का बढ़ता स्क्रीन टाइम आने वाले समय में बड़ी समस्या के रूप में सामने आ सकता है। इससे कई बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक केस की सुनवाई करते हुए कहा था कि बच्चों का ऑनलाइन गेम एडिक्शन आने वाले समय में ड्रग्स और मादक पदार्थों की लत की तरह ही साबित होगा। इससे मानसिक और शारीरिक सेहत को कई नुकसान हो सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि इस पर कोई कानून लाया जाए। हमारे यहां भी सरकार को इस पर गंभीरता से मंथन करने की जरूरत है कि मोबाइल सिर्फ फोन रहे, यह किसी भी हालत में लत न बने। यह भी ध्यान देने की जरूरत है कि स्क्रीन टाइम अधिक होने की समस्या का समाधान भी ऐप की जरिए खोजने की कोशिश की जा रही है। जबकि इसके लिए जरूरी है कि हमारे आस-पास के सामाजिक परिवेश को एक बार फिर पुरानी स्थिति में लेकर आए। बच्चों को समय दें। उन्हें खेल के मैदानों पर ले जाने का प्रयास करें ताकि आउटडोर गेम्स में रुचि ले सकें। योग, ध्यान, संगीत की ओर ध्यान आकर्षित करें ताकि वे स्क्रीन से दूर हो सकें। इसके साथ ही दिनचर्या में समय का सही प्रबंधन करने के लिए प्रेरित करें ताकि बच्चे समय का सही उपयोग कर सकें और स्क्रीन टाइम कम हो सके।
हमें भी अभिभावक के रूप में मानक तय करने होंगे ताकि बच्चों को बताएं कि अपने कामकाज, गृहकार्य और अन्य गतिविधियां प्राथमिक हैं। इसके साथ ही हमें बच्चों को आप-पास दोस्त बनाने और रिश्तों का महत्त्व भी बताना होगा ताकि उन्हें वास्तविक और आभासी दुनिया में अंतर बताया जा सके। हमें बच्चों को जागरूक करना होगा और बताना होगा कि तकनीक हमारे लिए है, हम तकनीक के लिए नहीं।

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