हर साल हम नए संकल्प लेते हैं जिससे हमारा जीवन बेहतर हो सके, कुछ हम पूरे कर पाते हैं और कुछ अधूरे ही रह जाते हैं, फिर हम स्वयं का आंकलन करते हैं कि ऐसी क्या कमी रह गई? यह तो हुई बाहरी उपलब्धियों के आकलन की बात, पर क्या कभी हमने अपना आतंरिक अवलोकन किया है? क्या हमारे मन की स्थिति का हमारी आत्मा के साथ संतुलन हो पा रहा है? अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में व्याप्त प्रदूषण की समस्या पर कड़े दिशा-निर्देश जारी किए थे, क्योंकि बाहरी वातावरण अगर अशुद्ध हो तो ये सीधा हमारे स्वास्थ्य पर असर डालता है। अब यहां पर ये बात विचारणीय है कि हमारा मन और मस्तिष्क भी तो हमारे शरीर का ही हिस्सा है तो अच्छे स्वास्थ्य के लिए उनका भी शुद्ध होना उतना ही जरूरी है। हमारा मन, मस्तिष्क, क्रोध, भौतिकता, काम, लोभ, मोह, स्वार्थ और नकारात्मकता से प्रदूषित रहता है। दरअसल हम यह समझ ही नहीं पाते कि हमारे जीवन का असली मकसद क्या है क्योंकि सुबह से शाम तक विचारों के तूफान हमें घेर कर रखते हैं। अब यहां पर यह भी समझना जरूरी है कि विचारों के आने पर हम अंकुश तो नहीं लगा सकते, क्योंकि मनुष्य की सबसे बड़ी ताकत ही उसकी उसकी विचार शक्ति है, लेकिन हम उनकी दिशा बदल सकते हैं और इसमें हमारी मदद करती है आध्यात्मिकता।
आपने आई-क्यू, ई-क्यू के बारे में तो सुना होगा पर क्या आप एस-क्यू के बारे में जानते हैं? यह है स्पिरिचुअल कोशिएंट यानी कि अध्यात्म की ताकत को समझने की क्षमता, हमारे जीवन में अध्यात्म का ग्राफ जितना बढ़ता जाएगा, उतनी ही मजबूती से हम जीवन की जटिलताओं पर विजय पाते जाएंगे। बाहरी प्रदूषण को साफ करने के लिए हम एयर प्यूरीफायर का उपयोग करते है, फिल्टर्स लगाते हैं और भी न जाने कितने उपाय करते हैं, लेकिन आत्मा पर छाए प्रदूषण को साफ करने के लिए हम क्या करते हैं? शायद, इस बारे में हमने कभी सोचा ही नहीं। अगर हम रोजाना मंत्र जाप करें, ध्यान करें और सुबह-शाम वक्त निकालकर आध्यात्मिक किताबें पढ़ें तो इन सारे उपायों से धीरे-धीरे हम अपनी आध्यात्मिक प्रगति कर सकते हैं।