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आपकी बात… डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत पर क्या असर पड़ेगा?

पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रिया आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

जयपुरJan 22, 2025 / 01:47 pm

Hemant Pandey

भारतीय निर्यात पर उच्च टैरिफ और शुल्कों का प्रभाव पड़ेगा, जिससे व्यापार घाटा बढ़ सकता है। ऐसे में भारतीय कंपनियों को अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता बनाए रखने के लिए नई रणनीतियों पर विचार करना होगा।

भारतीय निर्यात पर उच्च टैरिफ और शुल्कों का प्रभाव पड़ेगा, जिससे व्यापार घाटा बढ़ सकता है। ऐसे में भारतीय कंपनियों को अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता बनाए रखने के लिए नई रणनीतियों पर विचार करना होगा।

अमरीका फर्स्ट नीति का भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर

ट्रंप की ‘अमरीका फर्स्ट’ नीति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतियाँ पैदा कर सकती है। ट्रंप के संरक्षणवादी दृष्टिकोण और डॉलर को मजबूत करने के प्रयासों से भारतीय रुपये में कमजोरी देखने को मिल सकती है, जिसके कारण आयात महंगे हो सकते हैं और महंगाई दर में बढ़ोतरी हो सकती है। इसके अलावा, भारतीय निर्यात पर उच्च टैरिफ और शुल्कों का प्रभाव पड़ेगा, जिससे व्यापार घाटा बढ़ सकता है। ऐसे में भारतीय कंपनियों को अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता बनाए रखने के लिए नई रणनीतियों पर विचार करना होगा।
महेन्द्र कुमार बोस, बाड़मेर

भारतीय व्यापार और छात्रों के लिए नई चुनौतियां

ट्रंप की संरक्षणवादी नीतियाँ भारतीय व्यापारियों और छात्रों के लिए एक नई चुनौती पेश करती हैं। उच्च टैरिफ से जहां भारतीय उत्पादों की कीमत बढ़ सकती है, वहीं कड़े आव्रजन नियम भारतीय छात्रों और पेशेवरों को भी कठिनाइयों का सामना करवा सकते हैं। इन बदलावों का असर भारतीय छात्रों के लिए अमेरिका में पढ़ाई और काम करने के अवसरों पर पड़ेगा, जबकि व्यापारियों को वैकल्पिक बाजारों की तलाश करनी होगी। हालांकि, दोनों देशों के सामरिक संबंधों में मजबूती आने की संभावना है, जो दीर्घकालिक दृष्टिकोण से भारत के लिए फायदेमंद हो सकती है।
-सुभाष बुड़ावन वाला, रतलाम

ट्रंप के दोबारा चुनाव का लाभ और हानि

यदि ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो भारतीय व्यापार और रक्षा क्षेत्र में कुछ सकारात्मक बदलाव हो सकते हैं। उनके द्वारा एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने की नीतियाँ भारतीय कंपनियों के लिए फायदेमंद हो सकती हैं, विशेषकर रक्षा क्षेत्र में। हालांकि, H1-B वीजा पर प्रतिबंध और अवैध प्रवासियों की वापसी से भारतीय पेशेवरों और उनके परिवारों के लिए समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इस संदर्भ में भारतीय सरकार को नीतियों को यथासंभव अनुकूल बनाने के लिए रणनीतिक कदम उठाने होंगे।
-मोहित जांगड़ा, सोनीपत

इस्लामिक आतंकवाद पर सख्त रुख भारत के पक्ष में

ट्रंप का पाकिस्तान को आर्थिक सहायता रोकने और क्वाड (क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग) को मजबूत करने का निर्णय भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से फायदेमंद साबित हो सकता है। इससे भारत को आतंकवाद से लड़ने में मदद मिल सकती है और उसके सुरक्षा दृष्टिकोण को मजबूती मिलेगी। ट्रंप की नीति के तहत पाकिस्तान पर दबाव बनाने से आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की संभावना बढ़ेगी, जिससे भारत की सुरक्षा स्थिति मजबूत हो सकती है।
-शुभम वैष्णव, सवाई माधोपुर

व्यापार और कूटनीति में नए समीकरण

ट्रंप की नीतियों के कारण भारत और अमेरिका के बीच व्यापार और कूटनीतिक रिश्तों में नए समीकरण बन सकते हैं। भारत को व्यापारिक दृष्टिकोण से अमरीका से बेहतर साझेदारी की उम्मीद हो सकती है, विशेषकर रक्षा, ऊर्जा और कृषि क्षेत्रों में। हालांकि, अमेरिका के कड़े नियमों और संरक्षणवादी दृष्टिकोण से भारत को व्यापारिक बाधाओं का सामना भी करना पड़ सकता है। दोनों देशों के बीच गहरे कूटनीतिक संबंधों के कारण नए व्यापारिक अवसर खुल सकते हैं, लेकिन यह भारत के लिए चुनौतीपूर्ण भी हो सकता है।
-हरिप्रसाद चौरसिया, देवास

अवैध प्रवासी भारतवंशियों की वापसी का खतरा

ट्रंप के कड़े नागरिकता नियमों के कारण भारतवंशियों के लिए अप्रवास की प्रक्रिया और कठिन हो सकती है। भारतीय मूल के अप्रवासियों को विशेषकर अमेरिका से भारत लौटने की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। इसके कारण भारतीय समुदाय के लिए कई तरह की सामाजिक और आर्थिक चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। भारतीय सरकार को इस स्थिति का समाधान खोजने के लिए नीति बनाने की आवश्यकता होगी, ताकि प्रभावित लोगों को बेहतर जीवन की संभावनाएँ मिल सकें।
-डॉ. राजेन्द्र कुमावत, जयपुर

रक्षा, चिकित्सा और व्यापार में नए अवसर

ट्रंप के नेतृत्व में भारत और अमेरिका के बीच रक्षा, चिकित्सा और व्यापार के क्षेत्रों में नए अवसर उत्पन्न हो सकते हैं। भारत को अमेरिका से अत्याधुनिक तकनीक और सामरिक सहयोग प्राप्त हो सकता है, जो सुरक्षा और आर्थिक प्रगति के लिए फायदेमंद होगा। चिकित्सा क्षेत्र में सहयोग से भारत में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की संभावना बढ़ सकती है, और व्यापार क्षेत्र में अमेरिका की सहायता से भारतीय कंपनियाँ वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकती हैं।
-मुकेश सोनी, जयपुर

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