हर कदम पर नई चुनौती
बिधूड़ी ने मुक्केबाजी, कुश्ती और एथलेटिक्स जैसे खेलों में एथलीटों के संघर्षों पर प्रकाश डाला, जिन्हें हर कदम पर नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि हमें प्रायोजक जुटाने, मीडिया कवरेज पाने और प्रशंसकों का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। वहीं क्रिकेट खिलाडि़यों को व्यापक लोकप्रियता और वित्तीय सहायता मिलती है।
क्रिकेटर बनना चाहते थे, लेकिन पिता के कहने पर मुक्केबाजी को चुना
बिधूड़ी ने पहले खुलासा किया था कि वह एक क्रिकेटर बनना चाहते थे, लेकिन उनके पिता धर्मेंद्र बिधूड़ी चाहते थे कि वह एक मुक्केबाज बनें। भारत में, क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों पर अक्सर तब तक कम ध्यान दिया जाता है, जब तक कि कोई एथलीट पदक नहीं जीतता। भारत का क्रिकेट के प्रति जुनून जगजाहिर है, जो अक्सर अन्य खेलों पर हावी हो जाता है।
बिधूड़ी आवाज उठाने वाले अकेले खिलाड़ी नहीं
बिधूड़ी इस असमानता के बारे में आवाज उठाने वाले अकेले भारतीय खिलाड़ी नहीं हैं। पिछले साल, बिधूड़ी ने शतरंज की दिग्गज खिलाड़ी तानिया सचदेवा के साथ मिलकर एथलीटों के प्रति भेदभाव और उनकी उपलब्धियों को नजरअंदाज करने के लिए दिल्ली सरकार की आलोचना की थी। इसके अलावा अनुभवी शटलर अश्विनी पोनप्पा ने खुलासा किया कि उन्होंने नवंबर 2023 तक सभी टूर्नामेंट खुद ही खेले और अपने निजी प्रशिक्षक का खर्च भी अपनी जेब से उठाया। 2023 में भारत के सर्वोच्च रैंक वाले पुरुष एकल टेनिस खिलाड़ी सुमित नागल ने अपनी वित्तीय कठिनाइयों का खुलासा किया और खिलाड़ियों के लिए वित्तीय सहायता और उचित मार्गदर्शन दोनों की कमी पर खेद व्यक्त किया था।