विवाह समारोह के तहत संस्था के संत मनोहरदास, खेड़ापाबड़ा रामद्वारा के संत सूरजनदास व भिवानी हरियाणा के आचार्य माई महाराज की निश्रा में सुबह बैण्ड बाजों व डिजे पर बजते संगीत के साथ बंदौली निकाली गई। जिसमे दूल्हे घोड़ी पर बैठकर इठलाए तो बाराती नाचते हुए चले। बंदौली प्रताप चौराहा से रवाना होकर विभिन्न मार्गों से होते हुए बांगडि़या रोड विवाह स्थल पहुंची। मार्ग में जगह-जगह बंदौली का लोगों ने फूल बरसाकर स्वागत किया।
दूल्हों ने अदा की तोरण की रस्म
विवाह स्थल पर पहुंचने पर वधु पक्ष की महिलाओं ने तोरण पर दूल्हों के नाक से भाल तक तिलक निकाला। उनकी आरती की। दूल्हों ने पंडि़तों के मंत्रोच्चार करने के साथ तोरण की रस्म अदा की। इसके बाद वर-वधु ने पांडाल में पहुंचकर एक-दूसरे को वरमाला पहनाई।
अग्नि को साक्षी मानकर लिए फेरे
वरमाला के बाद वर-वधु को विवाह स्थल पर लाया गया। वहां गजानन सहित देवताओं का पूजन कर हथलेवा की परम्परा पूरी की गई। हवन में आहुतियां देकर वधु के माता-पिता ने कन्यादान किया। वर-वधु ने अग्नि की साक्षी में फेरे लिए और एक-दूसरे को वचन दिए।
भामाशाहों का किया सम्मान
विवाह उत्सव में भामाशाहों व सहयोगकर्ताओं का संस्था की ओर से स्मृति चिन्ह देकर व माला पहनाकर सम्मान किया गया। विवाहितों को बर्तन सेट, दूल्हा-दुल्हन के वस्त्र, चांदी की पायजेब, ट्रोली बैग, नाक की फीणी, कुकर, बाजोट, पंखा, कुर्सी, कम्बल सहित अन्य घरेलू सामग्री प्रदान की गई।
कई जगह से पहुंचे बाराती व सहयोगकर्ता
विवाह सम्मेलन में पाली के साथ जोधपुर, बाड़मेर, बालोतरा, बैंगलूरु सहित अन्य जगहों से बाराती, घराती व सहयोगकर्ता पहुंचे। सम्मेलन में विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, जिला कलाकार संघ, सनातनी सेना, आर्य वीर दल, दुर्गा वाहिनी, लाखोटिया महिला मंडल, गणेश महिला मंडल, आशीर्वाद महादेव बालाजी मंदिर महिला मंडल, रावणा राजपूत महिला मंडल सहित विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता व सदस्यों ने सहयोग किया।